लखनऊः अवध यों ही लोक संस्कृति की भूमि नहीं है. श्रीराम लीला समिति ऐशबाग के तुलसी शोध संस्थान की ओर आयोजित चैती महोत्सव में भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य की अलग-अलग विधाओं की प्रस्तुति इस बात की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त रही. इस आयोजन में लोक नृत्य, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और सम्मान समारोह का लोगों ने भरपूर आनंद लिया. समारोह में चैती गीत 'ठुमुक चलत रघुरईया, दशरथ अंगना. जगमग पग धरि डोलें कौशल्या के लल्ला' 'घाटो रामा चरित्रा राम जी जनम', सोहर 'ये रतनारे होरिलवा को' और 'भोले बाबा अरजिया लगा दा ना, भक्त थाढ़े है दर्शन करा देना' जैसे भजन से जहां लोक गायिका रंजना अग्रहरि ने रंग जमा दिया वहीं शमशुर्रहमान नवेद के भरतनाट्यम नृत्य ने कलाप्रेमी दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया. रंजना अग्रहरि के गाए गीतों पर विद्या सिंह, अंकित यादव, रवीना, बनी, अस्मिता और सोनी ने नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का दिल जीता. ढोलक पर मुन्ना अनवर, बांसुरी पर दीपेन्द्र कुंवर, की बोर्ड पर ओमकार, साइड रिद्म पर सोमनाथ चैरसिया और आक्टोपैड पर राम बाबू ने साथ दिया. मराठी गीत सलामूरे पर कलाकारों ने भगवती देवी दुर्गा के नवरूपों के दर्शन करवाए. मीराबाई के भजन 'चाकर राखो रे' और 'गुंजन वन' पर कलाकारों ने भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया.
भक्ति संगीत के अगले चरण में ईशा रतन और मीशा रतन ने संयुक्त रूप से श्रीराम वंदना 'श्रीराम चन्द कृपाल भजमन' पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर भगवान श्रीराम के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की. तीन ताल में निबद्ध तराने से ईशा रतन व मीशा रतन ने अपने कार्यक्रम को विराम दिया. इसके बाद बृज की होली और राजस्थानी होली पर आधारित प्रस्तुतियों ने भी दर्शकों का दिल जीता. इस अवसर पर श्रीराम लीला समिति के सचिव पंडित आदित्य द्विवेदी और अध्यक्ष हरीश चन्द्र अग्रवाल ने मध्य प्रदेश के डॉ. सुनील मिश्रा को भारतीय संस्कृति व कला के उन्नयन व संवर्धन के लिए तुलसी गौरव सम्मान से सम्मानित किया. इस बार तुलसी गौरव सम्मान से सम्मानित होने वाली अन्य शख्सियतों में राजन शुक्ला, नागेन्द्र प्रताप सिंह, संजू बघेल, डा सूर्यकान्त त्रिपाठी, सदाशिव त्रिवेदी, जोखू प्रसाद तिवारी, गोपाल किशोर सेठ, ताराचन्द्र अग्रवाल आदि शामिल हैं.