चित्रकूटः चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़…से अलग यह एक अलग तरह की चर्चा का समय था माध्यम था इंटरनेट आधारित परिचर्चा. कोरोना काल में वेबिनार को विश्वविद्यालयों ने बहुत तेजी से अपनाया है, और हिंदी विभाग भी इसे लेकर बहुत पीछे नहीं हैं. महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्व विद्यालय के कला संकाय स्थित हिंदी विभाग ने भी एक वर्तमान दौर में साहित्य व तकनीक पर चर्चा के मद्देनजर एक वेबिनार संगोष्ठी आयोजित की. इस संगोष्ठी में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्व विद्यालय कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम ने अपने आवास से शिरकत की और कहा कि वर्तमान परिदृश्य में उपजी सामाजिक समस्याओं एवं साहित्य की भूमिका पर विमर्श आवश्यक है.
विवि परिसर से वेबिनार संगोष्ठी में शामिल होते हुए डॉ कुसुम सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी की विभीषिका ने इंसानी संघर्ष, समस्या एवं चुनौतियों पर नए तरीके से सवाल उठाए हैं. हिंदी विभाग के अध्यक्ष अवधेश प्रताप सिंह और रीवा विश्व विद्यालय के प्रो दिनेश कुशवाहा ने कहा कि प्रत्येक कालखंड के साहित्य में युगबोध और सत्य होता है. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के प्रो. संजय सिंह ने कहा कि साहित्यकार की दृष्टि पैनी होती है. वह समाज को अपने साहित्य में जिस रूप में देखता है, समाज व वैज्ञानिक भी उसी रूप में देखते हैं. आभार डॉ ललित कुमार सिंह ने व्यक्त किया. इस संगोष्ठी में काशी हिंदू विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो आशीष त्रिपाठी, इलाहाबाद केंद्रीय विश्व विद्यालय के प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह, कृषि संकाय के अधिष्ठाता प्रो डीपी राय तथा सामाजिक विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ नीलम चौरे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए.