बदायूंः पढ़ने-सुनने में अजीब लग सकता है, पर उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनावी बयार नजदीक आ रही है, सियासती पहलवान साहित्यिक मंच पर भी निशाना साधने लगे हैं. इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित मुशायरा एवं कवि सम्मेलन को देखकर तो यही लगा. कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव एवं सद्भावना कमेटी के चेयरमैन आजाद अहमद, प्रभारी मुनीर अहमद ने दीप जलाकर किया. इसके बाद काव्य सम्मेलन एवं मुशायरे का दौर शुरू हुआ. हासिम फिरोजाबादी ने देश भक्ति की बयार बिखेरते हुये पढ़ा- “जो न अब तक हुआ वह कर दिखायेंगे हम, गैर को भी गले लगायेंगे हम. अपने हिन्दोस्ता को खुदा की कसम सोने की चिड़िया बनायेंगे हम…“. याशिर सिद्दीकि ने पढ़ा- “भ्रम है क्या तुम्हें जनता माफ कर देगी.” असद बस्तबी ने पढ़ा- “अगर खामोश रहता हूं तो गैरत मार डालेगी, अगर सच बोलता हूं तो हुकूमत मार डालेगी. बहुत होशियार रहना है देश के हिन्दू मुसलमां को, लड़ाकर वरना सियासत मार डालेगी….“
सियासती अल्फाजों में ढलते जा रहे मुशायरे में आबाद सुल्तानपुरी ने पढ़ा- “हुई अजानें मगरिब की, आवाजें घर में जाती थीं.” विकास बौरवल ने पढ़ा- “किसी खंजर से न किसी तलवार से जोड़ा जाये, सारी दुनिया को प्यार से जोड़ा जाये.” शहजाद कलीम प्रतापगढ़ी ने पढ़ा- “जितना तेरा उतना मेरा सबको ये बतलाया जाये, आने वाली नस्लों को अब और यूं न भटकाया जाये….” मुंबई से पहुंची ज्योति त्रिपाठी ने पढ़ा- “चांद फलक तारों से क्या उम्मीद करें, फर्जी बंजारों से क्या उम्मीद करें….” इस अवसर पर मंच पर मौजूद देश के ख्यातिमान शायर डॉ वसीम बरेलवी का पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव व पदाधिकारियों ने शॉल ओढ़ाकर व प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया. जौहर कानपुरी, संपत सरल, शहजादा कलीम, नदीम फारुख, यासिर सिद्दीकी, डॉ. अजय अटल, विकास बौखल, मजहर जौनपुरी, शिवशरण बंधु, शबीना अदीब आदि ने भी अपने कलाम, कविताएं पेश की.