नई दिल्ली: संगीत महाविद्यालय दशरथपुरी द्वारका में गुरू पूर्णिमा के अवसर पर प्रख्यात गीतकार एवं कवि डॉ जयसिंह आर्य का 'एकल काव्य पाठ' धर्मेंद्र जैन लवली के संचालन में संपन्न हुआ. कार्यक्रम की खास बात यह रही कि भले ही यह धर्मेंद्र जैन लवली के काव्यपाठ का आयोजन न था, पर उन्होंने संचालन के दौरान भी अपने सुनाए मुक्तक व गीतों से समां बांध दिया. विशेषकर उनके राम पर सुनाये गीत को तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहा व सुना गया.
डॉ जयसिंह आर्य ने 'एकल काव्य पाठ' के दौरान अपनी कविताओं के साथ साहित्य की अन्य विधाओं में लिखी रचनाएं यथा गीत, मुक्तक व चौपाईवत सुनाकर श्रोताओं की खूब वाह वाही लूटी.

तुझको चलना है तू बराबर चल
सिर झुकाकर नहीं उठाकर चल
पाप  के  पर्वतों  पे  मत चढ़ना
तू सदा पुण्य की धरा पर चल
संगीत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने उनके इस मुक्तक पर खूब तालियां बजाईं. इसी तरह गुरु पर उन्होंने चौपाईवत सुनाई. उनके गीत 'चल मेरे मनवा चल अपने गांव' ने संगीत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को झूमने पर विवश किया. इस अवसर पर संगीत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य ने डॉ आर्य का अभिनंदन फूलमाला, प्रतीक चिन्ह व शाल भेंट कर किया.