भोपालः मध्य प्रदेश के चर्चित भौतिक विज्ञानी, लेखक डॉ कपूरमल जैन के निधन से राज्य के शिक्षा व साहित्य जगत में शोक व्याप्त है. जैन निष्णात विज्ञान-संचारक और राष्ट्रभाषा हिंदी में विज्ञान के सुविख्यात लेखक थे. उन्होंने उत्कृष्ट शिक्षा संस्थान भोपाल व महात्मा गांधी विश्वविद्यालय चित्रकूट में भौतिकी के प्राध्यापक के अलावा वह शासकीय महाविद्यालय आष्टा के प्राचार्य पद का दायित्व भी संभाला था. उनके द्वारा प्रस्तावित अनेक नवाचारी कार्यक्रमों को मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने लागू किया. वह मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक की भूमिका निभाते हुए लेखन में भी लगातार सक्रिय रहे. डॉ कपूरमल जैन के भौतिक शास्त्र पर लिखे सौ से अधिक शोध पत्र देश-विदेश के प्रतिष्ठित शोध जर्नलों में प्रकाशित हुए.
डॉ जैन की शिक्षा और विज्ञान साधना को अनेक संस्थानों ने पुरस्कृत और सम्मानित किया था. उनकी ‘हरि राह’, ‘जिज्ञासाओं के गर्भ में वैज्ञानिक चेतना’, ‘प्रायोगिक भौतिक’ तथा ‘महाविद्यालय भौतिकी’, ‘बेसिक्स आफ थर्मल एंड स्टेटिस्टीकल फिजिक्स’ तथा ‘इंट्रोडक्टरी क्वांटम मैकेनिक्स एंड स्पेक्ट्रोस्कोपी’, ‘1905 में भौतिकी की क्रांति’ और ‘घर-घर में विज्ञान एवं भौतिकी की विकास यात्रा’ जैसी पुस्तकें लिखकर भारतीय भाषा में विज्ञान लेखन को समृद्ध किया. माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान की परियोजना के साथ ही डॉ कपूरमल जैन ने प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए व्यावहारिक आचार संहिता तैयार की थी. उन्हें 'डॉ हरिकृष्ण दत्त शिक्षा सम्मान’ के लिए चुना गया था. डॉ जैन सप्रे संग्रहालय की विज्ञान संचार परियोजनाओं के सक्रिय सहयोगी थे. हिंदी विज्ञान लेखक और संचारक के रूप में सारे देश में प्रख्यात डॉ. कपूरमल जैन को इसी माह मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के प्रतिष्ठित ‘गुणाकर मुले राष्ट्रीय सम्मान’ से सम्मानित किया गया था. सप्रे संग्रहालय परिवार और मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन ने डॉ जैन के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके निधन को मध्यप्रदेश और उसके साहित्य जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया.