वर्धा: जहां लोग अपने कवियों को भूलने लगे हैैं, वहीं अपनी महान कवि परंपरा का स्‍मरण करते हुए महात्‍मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय वर्धा ने कविवर गोस्वामी तुलसीदास और उनके कृतित्त्व पर एक संगोष्ठी कर उन्हें याद किया. इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ रजनीश कुमार शुक्‍ल ने हिंदी के इस महान कवि के अवदान को अपने वक्‍तव्‍य में गहराई से रेखांकित किया. उनका कहना था कि गोस्वामी तुलसीदास ऐसे कवि हैं जो हर बच्चे को बूटी के साथ मिलते हैं अर्थात गोस्वामी जी की कोई न कोई पंक्ति रोजमर्रा की जिंदगी में आई कठिनाइयों के समाधान में मिलती है. जो प्रासंगिक नहीं होता है वह जन की उक्तियों में भी नहीं होता है. उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास परंपराओं के बीच समन्वय के कवि हैं. राम के प्रति उनकी भक्ति वैयक्तिक आनंद की भक्ति नहीं है. तुलसी के राम पूरी परम्परा में विशिष्ट हैं. तुलसी से महात्मा गांधी तक राम का स्वरूप करुणा का है. वे भारत की श्रेष्ठता के संपूर्ण कवि हैं.

 

हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो रामजी तिवारी, कार्यकारी कुलसचिव प्रो कृष्ण कुमार सिंह, प्रो अखिलेश दुबे, डॉ उमेश कुमार सिंह, जंग बहादुर पाण्डे, संगोष्ठी संयोजक प्रोअवधेश कुमार, डॉ यशवंत सिंह रघुवंशी मंचासीन थे. यह घोषणा भी हुई कि विश्वविद्यालय का साहित्य विद्यापीठ भवन अब तुलसी भवन के रूप में जाना जाएगा. सभागार में साहित्य विद्यापीठ की अधिष्ठाता प्रो. प्रीति सागर, संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो नृपेंद्र प्रसाद मोदी, प्रो विष्णु कांत शुक्ल, प्रो एम शेषारत्नम, प्रो जंग बहादुर पाण्डे, डॉ रचना शर्मा, डॉ रामानुज अस्थाना, डॉ अशोक नाथ त्रिपाठी, डॉ सुप्रिया पाठक, डॉ मनोज कुमार, डॉ अमरेंद्र कुमार शर्मा, डॉ संजय तिवारी, अभिषेक सिंह सहित कई शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ रूपेश कुमार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो अवधेश कुमार ने प्रस्तुत किया.