नई दिल्लीः पुरुषोत्तम हिंदी भवन में साहित्यिक संस्था विश्व हिंदी साहित्य परिषद् द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि गोपी वारियर के अंग्रेज़ी कविता-संग्रह 'शिवोहम' के हिंदी संस्करण का लोकार्पण सम्पन्न हुआ. संकलन का हिंदी अनुवाद कवि-लेखक प्रोफेसर डॉ. कृष्ण कुमार ने किया है. समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रेमचंद साहित्य के मर्मज्ञ डॉ. कमल किशोर गोयनका ने की. मुख्यअतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. कृष्ण कुमार ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम का शुभारंभ नंद कुमार झा द्वारा शिव स्तुति से हुआ. उसके बाद दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन हुआ. कार्यक्रम में पं. रामलोचन ने अपने मधुर कंठ से सरस्वती वंदना की. कवि गोपी वारियर की पुस्तक के लोकार्पण के पश्चात उनकी कविताओं पर बनीं तीन लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया. कवयित्री रूबी मोहंती ने कवि गोपी वारियर की कविताओं के हिंदी रूपांतर का अत्यंत भावपूर्ण पाठ किया. वहीं नेहा जैन ने गोपी वारियर की मूल अंग्रेज़ी कविताओं का पाठ किया. समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए कवि गोपी वारियर ने कहा कि हम सभी को अपने देश की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और ज्ञान के साथ-साथ श्रेष्ठतम मूल्यों को सदैव याद रखना चाहिए. भारतीय संस्कृति दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृतियों में सर्वोपरि रही है. कुछ वर्षो की गुलामी इस पूरे सभ्यता काल में एक छोटे से बिंदु के समान है, गुलामी के उस कालखंड को भुलाकर हमें भारतवर्ष के प्राचीन धर्म, प्रतीकों, देवी-देवताओं, प्राचीन ग्रंथों, वेद-पुराणों और महाकाव्यों में दिए गए ज्ञान और संस्कारों का प्रस्तुतिकरण संपूर्ण विश्व के समक्ष करना चाहिए. हमारी यही धरोहर दुनिया का कल्याण करने में सक्षम है, और दुनिया को सही मानव धर्म सिखाने की क्षमता भी इन्हीं में है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. कमल किशोर गोयनका ने कहा कि मैं गोपी वारियर की बातों से बिल्कुल सहमत हूं. उनकी कविताओं के बारे में चर्चा करते हुए डॉ. गोयनका ने कहा कि पिछले 40-50 वर्षों में मैंने इस तरह की कोई और पुस्तक नहीं पढ़ी. हिंदू संस्कृति और उसकी ऐसी परिकल्पना, हिंदू संस्कृति की सद्भावना और हिंदू संस्कृति की चेतना को समेटे ये कविताएं विलक्षण हैं. उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि भारत में इस तरह की कविताएं समकालीन साहित्य समाज में लिखी जा रही हैं. मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. कृष्ण कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब मुझे गोपी की कविताओं को पढ़ने का अवसर मिला तो मैंने उसी समय यह तय कर लिया कि इन कविताओं का अनुवाद हिंदी में होना चाहिए और हिंदी साहित्य के वृहद समाज तक इन कविताओं की पहुंच भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह बेहद कठिन समय था क्योंकि कैंसर जैसी विकट बीमारी से जूझते हुए मैंने इन कविताओं का अनुवाद किया. विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी बात रखते हुए कवि डॉ. विवेक गौतम ने संग्रह में शामिल कविताओं के संदर्भ में गहरे विश्लेषण के साथ बहुत ही शोधपूर्ण, सारगर्भित और महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया. डॉ. हरीश नवल ने काव्य-कृति पर चर्चा करते हुए कहा कि 'शिवोहम' कोई सामान्य काव्य-संग्रह नहीं है, यह एक ग्रंथ है. भारतीय संस्कृति, भारतीय चेतना, अद्वैतवाद, शिव और शक्ति जैसे गंभीर विषयों पर शामिल कविताओं को पढ़ना अत्यंत रोचक होने के साथ-साथ विलक्षण भी प्रतीत होता है. यह साधारण समाज की कविताएं नहीं हैं, ये वो कविताएं हैं जो समाज में एक नए आयाम को जन्म देगीं. मैं गोपी वारियर को इस विलक्षण कृति के लिए साधुवाद देता हूं. समारोह में गगनांचल के संपादक डॉ. हरीश नवल, उद्भव साहित्यिक,सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था के महासचिव डॉ. विवेक गौतम, वरिष्ठ साहित्यकार अतुल प्रभाकर, कृष्ण मनु, डॉ. मनोज भावुक, अमेरिका से आए इंद्रजीत शर्मा, हर्षवर्धन आर्य, मनोज अबोध, सुरेंद्र वर्मा तथा नॉर्वे से आए हुए कवि- संपादक शरद आलोक, विश्व हिंदी साहित्य परिषद की महासचिव ममता गोयनका, जयप्रकाश विलक्षण, कुसुम शर्मा, ओम सपरा, आर.सी.शर्मा, नीलांजन बनर्जी ,अमन अग्रवाल और गिरीश चावला सहित अनेक साहित्यिक अभिरुचि के लोग उपस्थित थे. संचालन विश्व हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ. आशीष कंधवे ने किया.