पटना सिटी: प्रख्यात शायर शायद अज़ीमाबादी की 91 वीं जयन्ती 'नवशक्ति निकेतन' के बैनर तले पटना सिटी में आयोजित मनाई गई। शाद अज़ीमादी को उर्दू शायरी में बहुत ऊंचा मुकाम हासिल है। कई लोग शाद की अदबी हैसियत गालिब के बराबर भी रखते हैं।संचालनकर्ता कमल नयन श्रीवास्तव ने कहा " शाद की रचनाओं में मुल्क का दिल धड़कता है।"
सबसे पहले लंगूर गली उनकी मज़ार पर ताजपोशी कर उन्हें याद किया। शाद अजीमाबादी की प्रसिद्ध पंक्तियां हैं "
करो वो काम , जो हैं कर गुजरने के,
समझ लो शाद, कि दिन आ गए हैं मरने के ।
बता दिया सम्भल-सम्भल कर चलना रस्ता,
खुदा भला करे ए 'शाद' नुकताचीनों का।
इस मौके पर मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विश्विद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ एजाज अली अरशद ने कहा कि " अज़ीमाबाद (पटना का पुराना नाम) साहित्यकारों व क्रांतिकारियों की जन्मभूमि व कर्मभूमि रही है। शाद मुकम्मल शायर थे । उनके नाम पर राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार, कवि सम्मेलन -मुशायरा होने चाहिए। "
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने अपने संबोधन में शाद अज़ीमाबादी को राष्ट्रीय गौरव बताते हुए कहा " शाद की रचनाओं उनकी रचनाओं का हिंदी अनुवाद 'शाद समग्र ' प्रकाशित होना चाहिए।"
बिहार राज्य शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैय्यद इरशाद ने 'शाद एकेडमी ' के निर्माण की बात की। इस मौके पर पटना की मेयर सीता साहू , शाद की प्रपौत्री डॉ शहनाज फातमी ने भी सभा को संबोधित किया। वक्ताओं ने सरकार ने शाद की याद में उनका जीवंत स्मारक बनाने , डाक टिकट जारी करने तथा उनके नाम पर हर वर्ष हिंदी व उर्दू के एक साहित्यकार को सम्मानित करने की मांग केंद्र व राज्य सरकार से की।
इस मौके पर हिंदी कवि किशोर सिन्हा व उर्दू के कथाकार अब्दुस्समद को इस साल का शाद अज़ीमाबादी सम्मान तथा प्रभात कुमार धवन व कलीम मुनअमी द्वारा को समाज व साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।
शाद अज़ीमाबादी के प्रपौत्र डॉ निसार अहमद ने शाद की उपेक्षा पर दुःख प्रकट करते हुए कहा " 2012 में नगर निगम द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद भी ' शाद अज़ीमाबादी पथ ' का शिलापट्ट अब तक नहीं लगाया जा सका है।यहां तक कि मुख्यमंत्री ने उनके नाम पर पार्क का शिलान्यास भी किया था लेकिन वो अब तक नहीं बन सका है।"
पटना ज़िला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर ने शाद अज़ीमाबादी को गालिब की टक्कर का शायर बताते हुए बड़े दुःख के साथ कहा " मुसलमान होने के कारण कोई अपनी दीवार पर शिलापट्ट नहीं लगाने दे रहा।" सम्भवतः इन्हीं स्थितियों को लेकर शाद अज़ीमाबादी ने कहा था
ये पर्दा पोशाने वतन तुमसे इतना भी न हुआ,
कि एक चादर को तरसती रही तुर्बत मेरी।
कार्यक्रम में रज़ी अहमद, एहसान अली अशरफ, राजकुमार भरतिया, राजेश बल्लभ, राजेश राज, सुनील कुमार, फैजान अली, चुन्नू चंद्रवंशी, अभिषेक श्रीवास्तव, अनूप कुमार, अकबर रज़ा जमशेद, डॉ विनोद कुमार अवस्थी, फ़िरोज़, राधेश्याम प्रसाद, हरीश नारायण शामिल थे।
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