नई दिल्लीः विश्व पुस्तक मेले में पुस्तक प्रेमी छात्रों, पाठकों और लेखकों के बीच पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाले राजनीतिज्ञ भी पहुंच रहे है. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थीम पैवेलियन में देखे गए. उनके साथ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष और निदेशक भी मौजूद थे. उन्होंने गांधी साहित्य पर मेले को केंद्रित करने के लिए न्यास की तारीफ भी की. मेले में साहित्य अकादमी द्वारा थीम मंडप में 'गांधी: लेखकों के लेखक' विषय पर आयोजित एक साहित्यिक कार्यक्रम में डॉ कमल किशोर गोयनका ने गांधी के अनेक अनछुए पहलुओं की जानकारी दी. अपने संबोधन में उन्होंने गांधी को एक 'विशिष्ट लेखक' बताया और कहा कि उनके जैसा प्रचुर लेखन करने वाला संभवतः उस युग में कोई नहीं था. उन्होंने गांधी की आत्मकथा और हिंद स्वराज की चर्चा के क्रम में भी अनेक बातें बताईं. नंदकिशोर आचार्य ने गांधी को एक 'विद्रोही लेखक' बताया और कहा कि गांधी मानव के बर्बरीकरण के खिलाफ थे. कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के अजय कुमार शर्मा ने किया.

 

लेखक मंच पर 'हंस' पत्रिका द्वारा भी एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें ममता कालिया ने राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान से पुरस्कृत कहानियों की पुस्तक का लोकार्पण किया. 'हंस' के संपादक संजय सहाय ने कहानी-संग्रह की सभी नौ कहानियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि प्रत्येक कहानी अपनी पूर्ववर्ती कहानी का विकसित रूप है. साहित्यकार ममता कालिया ने कहानी विधा को बचाए रखने तथा उसके प्रोत्साहन के लिए हंस का आभार व्यक्त किया. उन्होंने राजेन्द्र यादव के बारे में कहा कि हंस के साथ न केवल प्रेमचंद की समृद्ध परंपरा है, बल्कि राजेन्द्र यादव का संघर्ष भी शामिल हैं. यह संकलन पुरस्कृत कहानियों का पहला संकलन है. कार्यक्रम में आकांक्षा पारे काशिव, प्रकृति करगेती, योगिता यादव तथा पंकज सुबीर भी उपस्थित थे. रचना यादव ने इसका सफल संचालन किया. थीम मंडप में पारम्परिक संगीत पर आधारित कार्यक्रम पंजाबी विरासतकी कड़ी में पंजाबी लोकगीतों की संगीतमयी प्रस्तुति दी गयी. जगदीश पापड़ा, डॉ. सिमरजीत कौर, विक्रम सांगा इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता थे. बाबा नानक और मर्दाना के संवाद को पंजाबी लोकगीत शैली में पिरोकर सुंदर अभिव्यक्ति दी गई.