टीकमगढ़ः गांधी जी ने जिन विचारों को अपनाकर अपने को महात्मा बनाया था वे अनादिकाल तक प्रासांगिक रहेंगे और हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे. उनके विचारों ने ही उन्हें सर्वकालिक और सर्वस्वीकार्य बनाया. हमें उनके विचारों की पूजा करने की नहीं, बल्कि उन्हें आचरण में ढालने और उन्हें अपने चरित्र में ढालने की जरूरत है. यह विचार भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी और विचारक अनिल प्रकाश गोस्वामी ने म. प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन की जिला इकाई द्वारा संत रामदास कालेज में गांधीजी के 150वीं जयंती वर्ष पर छात्रों के बीच अयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कहीं. सम्मेलन के आयोजनों की श्रृंखला के उपसंहार के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम का विषय था, 'मौजूदा समय में गांधीवाद की प्रासंगिकता'. बुंदेली कवि गुलाबसिंह भाऊ की सरस्वती वंदना के साथ समारोह का शुभारंभ हुआ. लीक से हटकर अतिथियों की जगह छात्रों ने गांधी जी के चित्र पर माल्यार्पण किया. छात्राओं ने 'दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया' गीत गाया. विषय प्रवर्तन में फूलचंद जैन ने बालक मोहनदास के महात्मा बनने तक के संघर्ष को रेखांकित किया. इसके बाद भौतिकी प्राध्यापक संगीता अहिरवार ने कहा कि गांधी जी की सरलता, सादगी और स्वदेशी की भावना को अपनाकर समाज में एक सकारात्मक और सद्भावनापूर्ण वातावरण निर्मित किया जा सकता है.

 

विनोदकृष्ण चतुर्वेदी ने कहा कि गांधी जी ने दुनिया को कोई नया विचार नहीं दिया, बल्कि पूर्व प्रचलित सत्य, अहिंसा जैसे विचारों को अपने आचरण में ढालकर उन्हें एक नवीनता प्रदान की. उनके स्वराज्य की कल्पना में रामराज्य की अवधारणा समाहित है. वे एक अनासक्त योगी थे. उनका वास्तविक मूल्यांकन होना अभी भी शेष है. उन्होंने सदा निजी जीवन के साथ-साथ राजनीतिक शुचिता पर जोर दिया और आंदोलनों में आत्मबल का प्रयोग किया. उन्होंने सत्य और अहिंसा से अनुप्राणित राजनीति का पथ प्रशस्त करते हुए साधनों की पवित्रता पर जोर दिया.बीए प्रथम और अंतिम वर्ष की छात्राओं खुशबू बुनकर और चंचल सोनी ने युवाओं से गांधी जी को रोल मॉडल के रूप में अपनाने की अपील की. विशिष्ट अतिथि के रूप में बुंदेलखंड के वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र अध्यवर्यु ने कहा कि आज सभी राजनीतिक दल गांधी जी का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए कर रहे हैं, उनके बताए रास्ते पर राजनीति करने को कोई तैयार नहीं दिखता. अध्यक्ष के रूप में कालेज के प्राचार्य डॉ नरेंद्र मोहन अवस्थी ने कहा कि गांधी जी एक सर्वसमावेशी और धर्मनिरपेक्ष पुरुष थे. उन्होंने दीवारें खड़ी करने का नहीं उन्हें गिराने का काम किया. सामाजिक समरसता को बनाने में उनका बड़ा योग रहा. समारोह को अधिवक्ता डीपी यादव और सेवानिवृत्त संयुक्त कलेक्टर एलपी रावत आदि ने भी संबोधित किया. अंत में लोक गीत गायक सत्यनारायण तिवारी ने गांधी जी के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेणे कहिये' के बुंदेली रूपांतरण का गायन किया. समारोह का संचालन इकाई के अध्यक्ष रामस्वरूप दीक्षित ने किया. आभार डीपी शुक्ला ने किया.