विदिशाः मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन और गांधी सुमिरन मंच के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय नीमताल स्थित गांधी प्रतिमा परिसर में 'गांधी के राम और उनकी अटल आस्था' विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ. सम्मेलन की जिला इकाई के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह कुशवाह ने कहा कि बापू के राम सबके राम हैं. वह जितने ब्राह्मणों के हैं उतने ही अछूतों के भी हैं. बापू ने अछूतोद्धार आंदोलन चलाया तो उसका नाम हरिजन आंदोलन दिया. जीवन की अंतिम घड़ी तक राम नाम का सुमिरन करने वाले महात्मा गांधी के हृदय में राम का ही वास था. इसीलिए उन्होंने उस ब्रिटिश साम्राज्य को परास्त किया, जिसके राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता था. वह भी चरखा, नमक और सत्याग्रह जैसे हथियार से. सम्मेलन के नवनियुक्त सचिव प्रो. अरविंद द्विवेदी ने एक पौराणिक आख्यान के माध्यम से कहा कि राम के नाम में अपार शक्ति है. इसका सिर्फ एक बार सच्चे मन से स्मरण करने पर मनुष्य भवसागर से पार हो सकता है. राम नाम की ताकत से ही गांधी का आत्म बल अपने शिखर पर पहुंच गया था. अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि गांधी ने जितने भी आंदोलन चलाए उन पर प्रभु श्रीराम के आदर्शों की छाप नजर आती रही. बापू ने अपने अखबार यंग इंडिया और नव जीवन में कई बार अपने सारे कार्यों का श्रेय प्रभु श्री राम को दिया. आखिर कौन सी वह प्रेरणा थी, जिसके कारण बिना हथियार उठाए , बिना घृणा और हिंसा के वे इतने बड़े देश को स्वतंत्र करा सके और पूरी दुनिया को अहिंसा की राजनीतिक शक्ति का अहसास दिला सके. गांधी के लिए वह शक्ति `राम' ही थे. बचपन से आखिर तक उनके मुंह पर राम का नाम रहा. उन्होंने उस नाम को कभी बिसराया नहीं.
श्रीवास्तव ने कहा कि सन 1947 में जब उनकी हत्या की आशंका प्रबल हो गई तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि मैं मार दिया जाऊं. लेकिन मैं अपनी अच्छी मौत उसे ही मानूंगा जब मेरे मन में हत्यारे के लिए कोई घृणा का भाव न हो और मेरे मुंह से अंतिम समय भी`राम' नाम निकले. शायद यह उस भाव का ही प्रताप था कि उन्होंने गोली लगने के बाद अपने अंतिम समय में `हे राम' ही कहा. गांधी सुमिरन मंच के मुखिया डॉ सुरेश गर्ग ने कहा गांधी के राम दशरथ नंदन श्रीराम नहीं बल्कि कण-कण में व्याप्त अंतर्यामी राम है. इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी बीसवीं सदी के सबसे बड़े मनुष्य हैं. यह बात किसी भारतीय ने नहीं अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर ने कही थी. हालांकि वे यह कहना चाहते कि संभवतः गांधी संपूर्ण मानव इतिहास के सर्वश्रेष्ठ लोगों में से एक हैं. लेकिन एक पत्रकार के नाते उन्होंने अपनी टिप्पणी उसी सदी तक सीमित कर दी जिसमें वे सक्रिय थे. लेकिन सवाल उठता है कि इस गांधी की शक्ति का रहस्य क्या था? इसी तरह बीसवीं सदी के सबसे महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को यह यकीन ही नहीं होगा कि हांड़ मांस का ऐसा आदमी कभी धरती पर चला था. अंत में आभार गुमान सिंह दांगी ने माना. कार्यक्रम में राम बाबू यादव, नीतू यादव अश्वनी सूद, जयराज सिंह तोमर, हरिओम शर्मा और सुरेंद्र सिंह राठौड़ आदि उपस्थित थे.