नई दिल्लीः कुछ साल पहले युगपुरुष नामक एक नाटक देश भर में खेला गया. अब इसी नाम से एक धारावाहिक भारतीय टेलीविजन पर कई भाषाओं में शुरू हो चुका है. धरमपुर के श्रीमद राजचंद्र मिशन ने मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा बनने की यात्रा को इसमें दर्शाया है. बात सन् 1893 की है. इंग्लैंड में पढ़ कर लौटा 24 साल का एक वकील मुंबई में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा था. उसी दौरान उसकी भेंट हुई हीरे-मोती के एक व्यापारी से हुई. वह व्यापारी थे राजचंद्र मेहता. मेहता भारतीय अध्यात्म के गहरे जानकार थे. दोनों की गाढ़ी छनने लगी. फिर साल-दो-साल बाद वह वकील दक्षिण अफ्रीका चला गया. कई साल तक दोनों के बीच पत्राचार होता रहा. आगे चल कर यही व्यापारी उस वकील का आध्यात्मिक गुरु बना. उन्होंने उस वकील को धर्म और अध्यात्म को समझने की दृष्टि दी, उसके कमजोरी के पलों में मित्रता के साथ उसे सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की हिम्मत दी.
इंग्लैंड से लौटे उस वकील का नाम था मोहनदास करमचंद गांधी. वही बाद में महात्मा गांधी के रूप में हमारी आजादी की लड़ाई का नायक बनकर उभरे. इन दोनों की कहानी युगपुरुष नामक एक नाटक में पिरोई गई थी. उस समय भी इस गाथा को रंगमंच पर लाने का श्रेय गुजरात के धरमपुर में स्थित श्रीमद् राजचंद्र मिशन को जाता है. यह नाटक कई शहरों में कई भाषाओं के मंचन से होता हुआ देश की राजधानी दिल्ली में भी खेला गया था, जिसकी चतुर्दिक तारीफ हुई थी. इस नाटक ने एक अद्भुत मित्रता को दर्शाने का काम किया था, जिससे विराट व्यक्तित्व का निर्माण संभव हुआ था. आज के दौर में जब नई पीढ़ी के पास ऐसे संदर्भों का अभाव है, तब यह धारावाहिक कई भाषाओं में बनकर प्रसारण के लिए तैयार है. इसके निर्माताओं का दावा है कि हालांकि ऊंचे लोगों को दर्शाना आसान नहीं होता, फिर भी ऐसे धारावाहिक से समाज, खासकर युवाओं को एक जीवन आदर्श और एक दिशा तो मिलेगी ही.