नई दिल्लीः विश्व पुस्तक मेला समाप्त हो चुका है, पर उस दौरान कुछ किताबों पर हुई परिचर्चा की गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी. इन्हीं में से एक है वाणी प्रकाशन से छपे वरिष्ठ लेखिका उषाकिरण खान के उपन्यास 'सीमान्त कथा' पर आयोजित परिचर्चा. इस कार्यक्रम में उषाकिरण खान के साथ मनीषा कुलश्रेष्ठ, अल्पना मिश्र, सोपान जोशी, अरुण माहेश्वरी, मनीष कटारिया, आराधना प्रधान और शेष नारायण सिंह उपस्थित थे. 'सीमान्त कथा' उपन्यास 1974 के बिहार आन्दोलन के बाद के सबसे नाज़ुक दौर का जीवन्त दस्तावेज़ भी है. विभिन्न जनान्दोलनों, जातीय संघर्षों तथा नरसंहारों की भूमि बिहार से उपजी यह कथा न केवल हमें उद्वेलित करती है बल्कि वामपन्थी राजनीति के खोखलेपन को भी उजागर करती है. अल्पना मिश्र ने बताया कि यह उपन्यास एक प्रकार से लोक के विश्वास, रूप, छवियों के साथ-साथ कमियों को भी सामने रखता है. उनके अनुसार इस उपन्यास में राजनीतिक जटिलताओं को देख समझकर गहराई से पाठकों के सामने रखा गया है. सोपान जोशी ने कहा कि वर्तमान समय में छात्र-छात्राओं को सही दिशा दिखाने वाले ज़्यादा लोग नहीं है, और इस समय में उषाकिरण खान जैसी अनुभवी लेखिकाओं की पैंनी दृष्टि छात्रों और छात्राओं के जीवन को समझने में उपयोगी है.

मनीषा कुलश्रेष्ठ का कहना था कि उपन्यास 'सीमान्त कथा' के माध्यम से उषाकिरण खान ने मिथिला की स्त्रियों के लिए खिड़की खोली है. इस उपन्यास में मिथिला की औरतों का दर्द और वे राजनीति संक्रमण को किस प्रकार महसूस करती हैं, इन सबका चित्रण उषाकिरण खान बख़ूबी करती हैं. अरुण माहेश्वरी के अनुसार इस उपन्यास में जीवन जीने के दृष्टिकोण में खुलापन है, यह अपने समय से आगे की बात रखता है. मनीष कटारिया ने कहा कि इस उपन्यास में ग्रामीण औरतों के पहनावे से लेकर, व्यवहार, बातचीत तक में आधुनिक दृष्टिकोण मिलता है. यहां स्वाभिमानी सीता के समान स्त्रियों में एक आधुनिक ठसक मिलती है. उषाकिरण खान ने बताया कि असल में यह राजनीतिक, छात्र आन्दोलन से जुड़ा उपन्यास है, जिसके कथानक के केन्द्र में दो छात्र है. इसके अन्तिम भाग का पाठ करते हुए उन्होंने कहा कि इसके मूल में गाँधी की, उनकी अहिंसा की विचारधारा है. उन्होंने दावा किया कि यह उपन्यास हिंसा के विरुद्ध गाँधी की प्रतिष्ठा करता है. शेष नारायण सिंह कहा कि यह उपन्यास गाँधी की अहिंसात्मक परम्परा को आन्दोलन में प्रतिष्ठित तो करता ही है, उनकी बहुआयामी विचारधारा को पाठकों के सामने रखता है.