देहरादूनः सामाजिक, साहित्यिक संस्था अपनत्व फाउंडेशन ने आरोग्यधाम सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के सहयोग से सर्वे चौक स्थित तकनीकी शिक्षा सभागार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया. कवि सम्मेलन का आरंभ ग्राफिक एरा विवि के चेयरमैन कमल घनसाला ने किया. अध्यक्षता पंडित सुरेश नीरव और कमल घनसाला ने की. इस अवसर पर कवियों ने राष्ट्रप्रेम, सामाजिक सरोकार, पर्यावरण से जुड़ी कविताओं से श्रोताओं को झकझोर दिया. बानगी देखिए. जनकवि अतुल शर्मा ने सुनाया- जिस जगह पानी बहुत हो कम और पानीदार होते हम, जहां झूठा व्याकरण शब्दार्थ बिकते हो… अनपरा से आए कवि कमलेश राजहंस की कविता थी- खादी के जिस लिबास पर दिखते लहू के दाग,  उस लिबास में बापू नहीं रहते… पटना के आईपीएस कवि  ध्रुव गुप्त ने कहा- प्यार से भी हम मर जाते हैं, आपने क्यों हथियार खरीदा…ग्लोबल वार्मिंग पर गजल पढ़ते हुए पंडित सुरेश नीरव ने कहा- गलते हुए ग्लेशियर हैं, सूखते मुहाने हैं, हांफती सी नदियों के लापता ठिकाने हैं, टूटती ओजोन परतें रोज आसमानों में, पांव बूढ़ी पृथ्वी के अब तो डगमगाने हैं…

आज के माहौल पर तंज कसते हुए श्यामल मजूमदार ने राजनीति का असली चेहरा दिखाते हुए कहा- सियासत में अंधी कमाई न होती, तो चेहरे पर उनकी लुनाई न होती, अगर कुत्ता उनका गटर में ना गिरता, तो सीवर की जल्दी सफाई न होती… कवि राकेश जुगरान ने आस्था पर कविता सुनाई- जलाकर चंद पुतले हमने समझा मर गया रावण, हमारी आस्था के आगे यूं डर गया रावण.., वीरेन डंगवाल पार्थ ने- धड़के है दिल मां भारती के नाम से ही, देश भावना का यश गान लिख दीजिए… कवि जेके माटी ने सुनाया- जिसने खामोशी से जिंदगी के दिन गुजारे हैं, उनसे पूछना कि फलक में कितने तारे हैं, इस खुले देश में हम सिर्फ जिस्म ढकते रहे, यहां कौन गांधी हुआ किसने कपड़े उतारे हैं. अन्य कवियों में नीरज नैथानी, राकेश जुगरान, श्रीकांत श्री, जयकृष्ण पैन्यूली, डा रिचा सूद ने भी कविताएं सुनाईं. अपनत्व फाउंडेशन की संस्थापक प्रतिभा नैथानी, दीपशिखा गुसाईं, आरोग्यधाम के संस्थापक डा विपुल कंडवाल ने कवियों का स्वागत किया. संचालन नीरज नैथानी व वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ ने किया.