वाराणसी: काशी विश्वनाथ की नगरी के जनप्रतिनिधि के रूप में जबसे नरेन्द्र मोदी सांसद चुने गए हैं, प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के रूप में इस क्षेत्र में कला, संस्कृति, साहित्य से जुड़े आयोजनों की संख्या बढ़ गई है. काशी उत्सव की मस्ती से बनारस वाले उबरे भी नहीं थे कि 'गंगा महोत्सव' का आयोजन आ गया और मां गंगा के तट पर कलाकारों ने सुर, लय और ताल के संगम के त्रिवेणी बहाई. मोहन वीणा के जनक, ग्रैमी अवार्ड और पद्मभूषण विश्व मोहन भट्ट की प्रस्तुति से शुरुआत हुई. सह कलाकार के तौर पर उनके पुत्र सरल भट्ट और तबले पर बनारस घराने के मनीष पिघले ने संगत किया. फिर ख्यात गायिका सोमा घोष ने 'गंगा किनारे शिव नाच रहे…' और 'रघुपति राघव राजा राम…' सुना कर भक्ति भाव का संचार किया. तबले पर ललित कुमार, हारमोनियम पर पं. पंकज मिश्र, की बोर्ड पर संतोष मौर्य ने साथ दिया. इस आयोजन में कई नामचीन गायकों ने शिरकत की. गायक अमलेश शुक्ल ने गीतकार कन्हैया दुबे केडी के लिखे गीतों को सुरों में सजाया. 'मर्यादा है इस देश की पहचान है गंगा…', 'गंगा महोत्सव काशी का नजारा देख लो…', 'स्वर्ग से सुंदर जग से न्यारा अपना प्रदेश है…' सुनाया. आस्था शुक्ला ने 'नमामि गंगे-नमामि गंगे…', 'ज्योति से ज्योति जलाते चलो…' सुनाया. दोनों कलाकारों के साथ तबले पर राकेश हरिपुरी, ढोलक पर मनीष त्रिपाठी, आर्गन पर संतोष, पैड पर संजू ने संगत की. नृत्यांगना डॉ ममता टंडन ने कथक से गंगा स्तुति प्रस्तुत की. मां गंगा को समर्पित 'हे देवी सुरेश्वरी भगवती गंगे…', 'गंगा तरंग रमणीय जटा कलापम…', 'ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया…, पर कथक प्रस्तुति कर मन मोहा. तबले पर प्रीतम मिश्रा, सह गायन पर उदय मिश्रा, हारमोनियम पर आनंद मिश्रा, सितार पर नितेश मिश्रा ने साथ दिया. गणेश पाठक ने दीप गजल की प्रस्तुति से समां बांधा. 'कितने दीपक तेरी यादों के जलाए मैंने…', पंजाबी गीत 'सारा-सारा दिन तेरे बिन…' की प्रस्तुति की. तबले पर श्री पांडेय, आर्गन पर संतोष कुमार ने संगत किया
डॉ सुप्रिया शाह ने सितार के तारों की झंकार से भगवान शिव और मां गंगा की आराधना की. तबले पर ललित कुमार ने साथ दिया. पल्लवी पांडेय ने गंगा स्तुति के साथ ही शिव भजन व दादरा प्रस्तुत किया. अमरेंद्र मिश्र ने सितार वादन, नवीन गुर्जर ने राक बैंड, अभिषेक महाराज ने सितार वादन, रंजना राय और राजन तिवारी ने गायन किया. सूफी गायक अंकित बत्रा ने 'शिव कैलाश के वासी, शिव शंकर रखवाला सबका' गीत गा कर माहौल को भक्तिमय बनाया. फिर 'अच्युतम केशवम कृष्ण माधवम', 'मेरा आप की कृपा से सब काम हो रहा है' और 'श्याम तेरी बंशी से' समापन किया. अंत में कबीर कैफे बैंड ने अपने फ्यूजन और कबीर वाणी की संयुक्त प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत कथक नृत्यांगना दिव्या गाबा और प्रवीण परिहार की जोड़ी ने शिव रुद्राष्टकम, ध्रुपद कंपोजिशन में शिव का विराट रूप, पारंपरिक कथक, ताल धमार पर आधारित पखावज एवं तबले की जुगलबंदी पर कथक नृत्य की प्रस्तुति दी. इसके बाद मलिक बंधुओं में पंडित नवल किशोर मलिक और सह कलाकार निलेश एवं निकेश मलिक ने जुगलबंदी की. गायक अंकित तिवारी ने मां गंगा को नमन कर 'सुन रहा है ना तू रो रहा हूं मैं', 'गलियां तेरी गलियां', 'दिल चीज तुझे दे दी' सहित कई फिल्मी गाने सुनाए. . इससे पूर्व सुखदेव मिश्र ने वायलिन पर अलाप, तान तिहाई की जुगलबंदी पेश की. इनके साथ मृदंगम पर सत्यम प्रकाश, तबले पर अंकित मिश्र और अंशुमान महराज ने संगत की. गायक गणेश मिश्र ने दादरा में 'भरी सिर गागर छोड़ो मोरी बहियां', 'दीवाना किए श्याम कैसा जादू डाला' और 'सांवरिया मन भायो' की प्रस्तुति दी. गायिका मधुमिता भट्टाचार्या ने केदार में द्रुत खयाल एकताल में 'रंग की सारी क्यों छुपाई', फिर तीन ताल में 'चांदनी रात मोको ना सुहाये' और दादरा में 'लागे तोरे नैनवा' सुनाया, तो सौरव-गौरव मिश्र की जोड़ी ने नृत्य प्रस्तुत किया. समापन मां गंगा भजन से किया गया. मंच का संचालन सुनील मान सिंह ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत धर्मार्थ, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने दीप प्रज्वलित कर किया. घाटों पर सफाई और रखरखाव करने वालों को सम्मानित किया. स्वागत क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव, संचालन सुनील मान सिंह और शिखा पाठक ने किया.