नई दिल्लीः अभी कुछ समय पहले ही उन्हें योग्य होते हुए भी साहित्य अकादमी का पुरस्कार न मिलने की चर्चा हिंदी जगत में गूंज रही थी कि अब यह दुखद खबर आई. हिंदी के जाने माने लेखक, अनुवादक और जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के पूर्व प्रोफेसर गंगा प्रसाद विमल की श्रीलंका में हुए एक सड़क हादसे में मौत हो गई. वह 80 वर्ष के थे. इस सड़क हादसे में उनकी बेटी कनुप्रिया और उनके नाती की भी मौत हो गई है. पुलिस ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी है. जानकारी के मुताबिक गंगा प्रसाद विमल अपने परिजनों के साथ दक्षिण गेले टाउन से कोलंबो की ओर एक वैन में सवार होकर जा रहे थे, तभी वैन दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में वैन ड्राइवर की भी मौत हो गई है. ड्राइवर पश्चिमी श्रीलंका के वड्डआ टाउन का रहने वाला है. दो अन्य लोग भी इस हादसे में घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. श्रीलंका पुलिस के मुताबिक उनके वाहन के ड्राइवर को गाड़ी चलाते समय नींद आ गई थी, जिस वजह से उनके गाड़ी की एक ट्रक से टक्कर हो गई.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 3 जून, 1939 में जन्मे गंगाप्रसाद विमल केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक भी रह चुके थे. वह ओस्मानिया विश्विद्यालय और जेएनयू में शिक्षक भी रहे थे तथा दिल्ली विश्विद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज से भी जुड़े थे. पंजाब विश्विद्यालय से 1965 में पीएचडी करने वाले विमल महत्वपूर्ण कवि, कहानीकार, उपन्यासकार और अनुवादक के रूप में ख्यात थे. विमल का पहला काव्य संग्रह 1967 में विज्जप नाम से आया था. उनका पहला उपन्यास अपने से अलग 1972 में आया था. उनका पहला कहानी संग्रह कोई भी शुरुआत 1967 में आया था. उन्होंने चंद्रकुंवर बर्थवाल संचयन का संपादन किया था और प्रेमचंद तथा मुक्तिबोध पर किताबें लिखी थीं. 20 से अधिक पुस्तकों के प्रकाशन और कई राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले विमल अपने मृदु व्यवहार और नए लेखकों को प्रोत्साहित करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते थे. यही वजह है कि उनके असामयिक निधन पर कई लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों ने शोक व्यक्त किया है. जिनमें उषाकिरण खान, प्रेम जनमेजय, आलोक मेहता, राकेश पाण्डेय, धीरेंद्र अस्थाना, प्रभात कुमार, स्मिता, रत्नेश्वर सिंह, दिविक रमेश, विनोद अग्निहोत्री, रुपा सिंह, अदिति माहेश्वरी, शिखा वार्ष्णेय, लालित्य ललित और साधना अग्रवाल शामिल हैं.