भोपालः लोक हमेशा हमारे साहित्य के केंद्र में रहा है. समूचा भक्तिकाल ऐसे गीतों पर आधारित है, जो लोक जनमानस का हिस्सा थे. मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय गायन, वादन एवं नृत्य गतिविधियों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला 'उत्तराधिकार' के नाम से आयोजित करता है, जिसमें संस्कृति, साहित्य और समाज के जुड़ाव की झांकी दिखती है. इसी कार्यक्रम में राजस्थान की 'मांगणियार गायन' लोकगीत का मंचन जनजातीय संग्रहालय सभागार में हुआ. कार्यक्रम की शुरूआत राजस्थान के पारंपरिक लोकगीत 'मांगणियार गायन' से हुआ. यह लोकगीत खुशियों के शुभअवसर पर गाया जाने वाला गीत है. इस प्रस्तुति में 7 कलाकारों ने अपने गायन कौशल से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
याद रहे कि मांगणियार एक पारंम्परिक लोकगीत है. मांगणियार जाति मूलतः सिन्ध प्रान्त की है. मांगणियार एक जाति होने के साथ साथ अपने खास लोकगीत शैली के लिए भी विख्यात है. मांगणियार गायन के तहत कलाकार खुशियों के शुभ अवसर पर अलग-अलग गीतों के माध्यम से अपनी खुशी को प्रदर्शित करता है. राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र विशेषकर जैसलमेर तथा बाड़मेर की प्रमुख जाति मांगणियार जिसका मुख्य पेशा गायन तथा वादन है, से यह कला दुनिया भर में प्रसिद्ध हुई. संग्रहालय में इस प्रस्तुति के दौरान गायन एवं हरमोनियम पर गफ्फूर खान, ढोलक पर फकीर खान, कमायचा पर गफूर खान, खडताल पर करीम खान, और भुंगर खान एवं भुंगे खान ने गायन में सहयोग किया.