बिहार के खगड़िया में अंगिका कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। अंगिका में  साहित्य का समृद्ध इतिहास रहा है। पिछले वर्षों के दौरान अंगिका भाषा-भाषी लोगो वैसे भी अपनी लोकभाषा अपने परिवेश व समुदाय से जुड़ने का सबसे सशक्त माध्यम माना जाता है।

'अंगिका समाज ' खगड़िया के द्वारा जननायक कर्पूरी ठाकुर इण्टर स्कूल खगड़िया के सभागार में सकलदेव सिंह की अध्यक्षता और राहुल शिवाय, सम्पादक, कविता कोश के मंच संचालन में अंगिका कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में आचार्य परमानन्द अवधूत, विशिष्ट अतिथि के रूप में अनिरुद्ध सिन्हा ,मुंगेर, घनश्याम, पटनामंजुला उपाध्याय, पूर्णियाँ, रणजीत दूद्धू, नालन्दा, विनोद कुमार हंसौड़ा, दरभंगासच्चिदानंद पाठकडा0 शैलेन्द्र सिंह त्यागी और रंजना सिंह बेगूसराय मंचस्थ थे।

अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच खगड़िया के महासचिव कैलाश झा किंकर की सरस्वती वन्दना-"विद्या के' देवी बजाबै छै वीणा सुनो'-सुनो " से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। अपनी कविताओं से कवि सम्मेलन में रंग भरने वालों में सूर्य कुमार पासवान, अशोक कुमार चौधरी,अवधेश्वर प्रसाद सिंह,सुखनन्दन पासवान, संगीता चौरसिया, मंजुला उपाध्याय, चम्पा राय,रंजना सिंह,विनोद कुमार हँसौड़ा, सच्चिदानंद पाठक,डा0 शैलेन्द्र सिंह त्यागी,घनश्याम,विद्यासागर ब्रह्मचारी,प्रभु नारारण सिंह,नागेश्वर चौरसिया, प्रभात कुमार प्रताप,शिव प्रसाद साह,,कैलाश झा किंकर,राहुल शिवाय आदि प्रमुख थे।

सभी शब्द-साधकों को पुष्पमाल, अंगवस्त्रादि से सम्मानित भी किया गया। केन्द्रीय अंगिका समाज के महासचिव विश्वजीत ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आगत अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।