नारनौल: 'दर्दपुर' उपन्यास की लेखिका क्षमा कौल को हरियाणा के नारनौल में आयोजित एक समारोह में 'अमरसिंह-मैनादेवी कथा-पुरस्कार' 2018 से सम्मानित किया गया. क्षमा कौल ने 'समय के बाद' नाम से डायरी, 'बादलों में आग' नाम से कविता-संग्रह, 'निक्की तवी पर रिहर्सल' नामक उपन्यास और 'आतंकवाद और भारत' नामक किताब लिखी है. विश्वविद्यायायीय शिक्षा के दौरान उन्होंने धुमिल और हिंदी कविता पर खास काम किया, पर जिस उपन्यास 'दर्दपुर' के उन्हें यह सम्मान मिला है, उसकी तारीफ करते हुए प्रख्यात लेखक नरेंद्र कोहली ने एक बार अपने साक्षात्कार में कहा था, "क्षमा कौल का कश्मीर पर लिखा 'दर्दपुर' मेरे हिसाब से बहुत बेबाकी और साहस के साथ लिखा गया एक बेहतरीन उपन्यास है. लेकिन, इस किताब पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई. किसी ने इस पर नहीं लिखा, सब चुप हाे गये. छिपा गये या डर गये. लेकिन क्षमा ने बहुत साहस, खुलेपन एवं विस्तार से यह उपन्यास लिखा है. मुझे लगता है कि यह किताब ज्ञानपीठ ने छाप तो दी, लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि फिर इसे दबा दिया. इसकी कोई चर्चा कहीं नही हुई. इस उपन्यास का गुजराती में अनुवाद आया तो गुजरात साहित्य अकादमी ने इसे पुरस्कृत भी किया. 

 

नारनौल के साहित्यिक कार्यक्रम की शुरुआत में मनुमुक्त 'मानव' मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष डाॅ.रामनिवास मानव ने सबका स्वागत किया और ट्रस्ट की आगामी योजनाओं के बारे में बताया. इस अवसर पर महेन्द्रगढ़ केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी प्रोफेसर डाॅ.सिद्धार्थ शंकर राय ने हिंदी भाषा की वर्तमान चिंताजनक स्थिति और सरकारों की धनबटोरू व भ्रामक नीतियों की धज्जियां उधेड़ते हुए 'हिंदी विमर्श' की अनिवार्यता पर ज़ोर दिया. पुरस्कार वितरण समारोह में अन्य विधाओं और सामाजिक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण अवदान के लिए श्रीमती सीई जीनी (मिज़ोरम), राकेश भ्रमर, पवित्रा अग्रवाल (हैदराबाद), राजकिशोर सक्सेना (उतराखंड), पशुपतिनाथ उपाध्याय (अलीगढ़) को भी स्मृति सम्मान प्रदान किया गया. समारोह में केंद्रीय हिंदी निदेशालय के अध्यक्ष प्रो. अवनीश कुमार और दो विश्वविद्यालयों के कुलपति सहित शहर के प्रमुख गणमान्य बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, लेखकों, कवियों, पत्रकारों की उपस्थिति रही.