कोलकाताः बंगला साहित्य के गढ़ में हिंदी मेला लगा है. सांस्कृतिक पुनर्निमाण मिशन की ओर से यह आयोजन हर साल होता है. इसका उद्देश्य साहित्यिक व सांस्कृतिक स्तर पर हिंदी विद्यार्थियों और साहित्य प्रेमियों को मंच देना है. इस साल 24वां हिंदी मेला 26 दिसम्बर से शुरू हुआ और सात दिवसीय है. इस लिहाज से हिंदी और संस्कृति, साहित्य प्रेमियों के लिए आयोजन 1 जनवरी तक जारी है. इस मेले में पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि बिहार,झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों से विद्यार्थी शामिल हुए हैं. भारतीय भाषा परिषद सभागार में मिशन के सचिव प्रो. संजय जायसवाल ने आयोजन की शुरुआत में ही बता दिया था कि इस वर्ष हिंदी मेला प्राक् रजत जयंती वर्ष मना रहा है. प्राक रजत जयंती वर्ष में हिंदी मेले को विस्तार दिया गया है. इस वर्ष मेले में 'गांधी और आज का भारत' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ ही विविध कार्यक्रम आयोजित हैं.
सचिव संजय जायसवाल के मुताबिक मेले का फोकस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं. महात्मा गांधी पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिंदी के आलोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. अवधेश प्रधान, भागलपुर विश्वविद्यालय के किशन कालजयी, दिल्ली के डॉ. राजीव रंजन गिरि सहित कई विशिष्टजन व्याख्यान देंगे. हिन्दी मेले में लघु नाटक, चित्रांकन, कविता पोस्टर, हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता, काव्य आवृत्ति, वाद- विवाद प्रतियोगिता, आशु भाषण, युवा काव्य उत्सव, काव्य संगीत, लोकगीत, भाव नृत्य व सांस्कृतिक उत्सव समापन और युवा शिखर सम्मान भी होगा. मिशन के अध्यक्ष शंभुनाथ, महेश लोढ़ा, अनीता राय, मधु सिंह, राहुल शर्मा, पंकज कुमारी सिंह, सूर्यदेव राय आदि का दावा है कि कोलकाता का साहित्य समाज हमेशा ही इस मेले में सहयोग करता रहा है, और उसकी भागीदारी शुरुआती दिनों में ही दिखने लगी है.