नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने वेबलाइन कार्यक्रम शृंखला के अंतर्गत 'दलित चेतना' पर एक ऑन लाइन कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में हिंदी के तीन महत्त्वपूर्ण कवियों मुसाफिर बैठा, असंगघोष और जयप्रकाश कर्दम ने अपनी कविताओं का पाठ किया. इस कार्यक्रम का संयोजन अकादमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश द्वारा किया गया. उन्होंने अकादमी के कार्यक्रमों और प्रकाशनों में दलित स्वर की उपस्थिति को रेखांकित करते हुए पिछले साल आरंभ की गई 'दलित चेतना' कार्यक्रम शृंखला की लोकप्रियता के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस शृंखला को ऑनलाइन भी जारी रखने का प्रयास अकादमी कर रही है.
सबसे पहले मुसाफिर बैठा ने 'कविता का प्लॉट', 'उधार की धार', 'खारिज करने के तर्क', 'हिसाब-बेहिसाब', 'संताप' और 'जाति जाती नहीं' शीर्षक वाली कविताएं सुनाईं. असंगघोष ने 'प्रतिबंधों की नींव', 'कहाँ था मंगल', 'मेरा चयन' एवं 'हम आसमान जोतेंगे' शीर्षक कविताएं सुनाईं. जयप्रकाश कर्दम ने 'जिंदगी', 'भूख', ‘पोस्टर’, 'आग', 'दरख्त', 'सूरज', 'बेमानी है आजादी' आदि कविताओं का पाठ किया. पठित कविताओं में दलित समाज की सामाजिक स्थितियों के बरक्स दलित अनुभूतियों को वाणी दी गई थी. कार्यक्रम का वीडियो अकादमी के यूट्यूब लिंक पर देखने के लिए उपलब्ध है. ज्ञात हो कि अकादमी ने मई महीने से वेबलाइन साहित्य शृंखला के अंतर्गत ऑनलाइन कार्यक्रमों की शुरुआत की है. इसके तहत हर महीने लगभग पांच दर्जन कार्यक्रम विभिन्न भाषाओं में आयोजित किए जा रहे हैं.