कोई पढ़ता मरसिया, कोई गाता गीत
विविध रंग की जिंदगी, कहीं घृणा कहीं प्रीत
आगम-निर्गम बंधुओ,  जीवन के दो द्वार
दोनों द्वारों पर लगी, देखो भीड़ अपार !
कविता की यह पंक्तियां उत्तर प्रदेश के झांसी में रहने वाले वरिष्ठ लेखक श्यामसुंदर सेठ की हैं, जिसे उन्होंने अपने निधन से महज चंद घंटे पहले लिखा था. अफसोस कि साहित्य जगत में उनके जाने की कहीं सूचना तक नहीं. वह तो भला हो पलाश सुरजन का जिन्होंने मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन और सोशल मीडिया के पेज पर इसकी सूचना दे लोगों को इस दुखद सूचना से अवगत कराया. श्यामसुंदर सेठवरिष्ठ कवि राजहंस सेठ के बड़े भाई थे. वह स्वयं एक वरिष्ठ साहित्यकार, संविधान तथा संसदीय मामलों के विशेषज्ञ, मध्य प्रदेश शासन में विधि व विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग के पूर्व अतिरिक्त सचिव रह चुके थे और सेवानिवृत्ति के बाद अपने गृहनगर झांसी में रह रहे थे.

संसदीय मामलों के विशेषज्ञ लेखक के रूप में स्थापित होने के अतिरिक्त वह साहित्य की अन्य कई विधाओं में सिद्धहस्त थे. अनेकानेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनका प्रकाशन नियमित रूप से होता रहा. मध्य प्रदेश विधान सभा के महत्त्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान 'कुंजीलाल दुबे संसदीय विद्यापीठ' के वह संस्थापक निदेशक थे. 83 वर्ष की आयु में भी वह साहित्यिक गतिविधियों में पूरी गंभीरता और उत्साह से सक्रिय थे और इन दिनों दोहों पर विशेष कार्य कर रहे थे. मध्य प्रदेश साहित्य सम्मेलन ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है.