नई दिल्लीः लता मंगेशकर ने न केवल संगीत जगत को अपनी आवाज से समृद्ध किया, बल्कि समूचे कला जगत को अभिभूत करती रहीं. उनकी शोहरत और चाहने वालों में क्या खास, क्या आम सभी शामिल थे. लता जी लेखकों की भी पहली पसंद रहीं. बहुत सारे लोगों को तो शोहरत ही लता जी पर किताब लिख कर मिली. यही वजह है कि उनके न रहने पर सोशल मीडिया पर आम और खास सहित लेखकों का भी शोक संदेश, उनके साथ के अनुभव और तस्वीरें अभी भी लगातार पोस्ट होना जारी है. लताजी के निधन से आहत ऐसे लेखकों में अयोध्या राजघराने से ताल्लुक रखने वाले यतींद्र मिश्र प्रमुख हैं, जिन्हें 'लता सुर गाथा' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था. उनकी पहली टीप थी, “मेरी सरस्वती, मेरी सुर आराध्या,मेरी रचनात्मकता की सबसे उज्ज्वल उपस्थिति, अपने गंधर्व लोक चलीं गईं.' इसके बाद उन्होंने लगातार लता जी से जुड़े अपने श्रद्धांजलि विचार रखे.
लता मंगेशकर थीं ही ऐसी. उनके गाए गीतों ने उन्हें अमर कर दिया. ऐसे समय में यह जानना जरूरी है कि लता मंगेशकर के जीवन, कर्म, गीत, संगीत पर बहुतेरी पुस्तकें लिखीं गईं. कई भाषा में इनके अनुवाद भी हुए. इनमें से कुछ चर्चित पुस्तकों की बात करें तो नसरीन मुन्नी कबीर की 'लता मंगेशकर-इन हर ऑन वॉइस', हिंदी में अनूदित होकर 'अपने खुद के शब्दों में… लता मंगेशकर', हरीश भिमानी की 'इन सर्च ऑफ लता मंगेशकर', नसरीन मुन्नी कबीर और रचना शाह की 'ऑन स्टेज विद लता', यतींद्र मिश्र की 'लता: सुर गाथा', मंदर वी बिचू की 'लता: वॉइस ऑफ द गोल्डन एरा', तारिकुल इस्लाम की 'लता मंगेशकर: माई म्युजिक टीचर & ग्रेटेस्ट सिंगर' और 'इंफ्लुएंस ऑफ लता मंगेशकर्स सॉन्ग्स इन माई सॉन्ग्स एंड लाइफ' और राजू भारतन की 'लता मंगेशकर: अ बायोग्राफी', राठी में प्रवीण जोशी, मीना मंगेशकर की 'मोठी तिची सावली' प्रमुख हैं. इनके अलावा लता मंगेशकर सदाबहार फिल्मी गीत, लता मंगेशकर हिट फिल्मी गीत जैसी पुस्तकें भी लगातार, प्रिंट, ऑडियो-वीडियो रूप में प्रकाशित होती रही हैं.