नई दिल्लीः गिरमिटियों के इतिहास पर आधारित प्रवीण कुमार झा की पुस्तक 'कुली लाइन्स' पर एक संवाद का आयोजन मालिनी अवस्थी की अध्यक्षता में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुआ. मुख्य वक्ता के तौर पर प्रख्यात लेखक यतीन्द्र मिश्र उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन वाणी प्रकाशन की प्रधान संपादक रश्मि भारद्वाज ने किया. स्वागत भाषण से कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी ने वाणी प्रकाशन के साथ ही युवा वाणी परियोजना की चर्चा की. इसके बाद लेखक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि वैसे तो कई लोगों ने गिरमिटियों का इतिहास लिखा है, और लिखा जा रहा है, लेकिन हिन्दी में पहली बार सभी द्वीपों के इतिहास को एक साथ रखने का प्रयास किया गया है. झा ने बताया कि गिरमिटिया अपनी छ: पीढ़ी के बाद भी अपने आपको भारतीय मानते हैं. शुरुआत में जो स्त्रियां गिरमिटिया मज़दूरों के रूप में बाहर गईं, उनके लिए उनकी मुक्ति प्रमुख थी, परंतु बाद में उन्होंने भी भारतीय संस्कृति को बचाने का प्रयास किया.
किताब के बारे में यतीन्द्र मिश्र ने कहा कि हर पन्ने में लेखक का मानस खुलता जाता है। भूमिका पढ़ते हुए उन्होंने लेखक की ईमानदारी पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि इस किताब द्वारा प्रवीण ने इतिहास के वृत्त में छेद कर दिया है, और जब भी इस विषय पर कोई शोध होगा तो इस किताब को आदर्श के तौर पर देखा जायेगा. यतीन्द्र मिश्र के अनुसार एक ईमानदार, भावुक और सह्रदय लेखक प्रवीण के अंदर है जो इस किताब के पन्नों से झलकता है. कार्यक्रम की अध्यक्ष मालिनी अवस्थी के अनुसार किताब का विषय और शीर्षक दोनों ही आकर्षित करते हैं. उनके अनुसार प्रवीण ने उस समय के अंग्रेज़ों के मनोविज्ञान को छुआ है. मालिनी अवस्थी के अनुसार मॉरीशस और फिजी में भारतीयता ज़्यादा दिखाई देती है. अगर आपको जानना है कि आप क्या थे तो आप सूरीनाम और त्रिनिडाड जाइये, जहां के गिरमिटिया लोगों के वंशजों ने भारतीयता के मूल रूप को संरक्षित रखा है. मालिनी ने इस अवसर पर बिदेसिया गीत गाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया.अंत में प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.