नई दिल्लीः बिजवासन के ऊषा फार्म्स में स्थित साहित्य, कला और संस्कृति की गतिविधियों के लिए समर्पित 'मुक्तांगन' में युवा रचनाकार किरन यादव के कविता संग्रह 'अंतर्यात्रा' का लोकार्पण हुआ. इस संग्रह का प्रकाशन देवेंद्र कुमार बहल द्वारा किया गया है, जो अभिनव इमरोज का भी प्रकाशन करते हैं. इस मौके पर साहित्य जगत की कई हस्तियां जुटीं, जिनमें आलोक यादव, मेधावी जैन, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, प्रताप सहगल  आदि मौजूद थे. इस अवसर पर नाटककार, कथाकार प्रताप सहगल ने कहा कि आज की कविता का परिवार बहुत बड़ा है, ऐसे में यह परिवार नए हस्ताक्षर को अपने साथ जुड़ने का कितना मौका देगा, यह कहना मुश्किल है, लेकिन अपने लिए जगह तो बनानी पड़ेगी. मेरा मत है कि इसके लिए किरन को मेहनत करने की आवश्यकता है. उनके पहले कविता संग्रह में भी कुछ रचनाओं के बिम्ब इतने अद्धभुत हैं कि लगता नहीं कि ये इनका पहला कविता संग्रह है. वरिष्ठ ग़ज़लकार लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कहा कि किरन की रचनाएं पढ़वा ले जाने में सक्षम हैं. इसमें परिवार भी है और अपनों के लिए जगह भी. बधाई किरन को कि वह और गम्भीरता से इस राह में आगे बढ़ेंगी. 

इस अवसर पर व्यंग्यकार लालित्य ललित ने किरन के रचनाकर्म पर विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि किरन की कविताएं कहीं छोटी और कहीं बड़ी भी है, इन्हें पता नहीं कि ये हाइकु भी लिख गई हैं. मैं बधाई देता हूं कि घर-परिवार से अपनी जिम्मेवारियों का निर्वाह करती आई किरन आज सक्रिय रचनाकारों में शामिल हो गई हैं. उनका कहना था कि फेसबुक ने जो आज कुछ नए नाम दिए हैं उसमें तृप्ति अग्रवाल, सौम्या दुआ, कल्पना पांडेय, निर्मला सिंह प्रमुख हैं. जिन्होंने आभासित दुनिया से निकल कर आज लेखकीय दुनिया में मजबूती से कदम रखा है. निश्चित ही आने वाले समय में किरन की कविताओं में और परिपक्वता आएगी, ऐसी उम्मीद ही नहीं विश्वास भी है. इस मौके पर आशीर्वचन देने वालों में ममता किरण,शशि सहगल भी थीं.कार्यक्रम का संचालन रणविजय राव ने किया. आरंभिक वक्तव्य मुक्तांगन की आराधना आशीष प्रधान ने दिया.