नई दिल्ली: प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा  इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्सी में चल रहे किताब फेस्टिवल के तीसरे दिन चार पुस्तकों का विमोचन और लेखकों से संवाद हुआ. सभी सत्रों की शुरुआत अहसास वूमेन के सदस्यों द्वारा लेखकों और मेहमानों के अभिनंदन से हुई. ज्योतिष जोशी ने आधुनिक समय में तुलसीदास की प्रासंगिकता को समझाया. डॉ सुनीता से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब तक आप में विस्तार से पढ़ने का धैर्य नहीं होगा, तब तक किसी विषय को पूरी तरह से नहीं देखा जा सकता है और अपनी राय नही बनाई जा सकती. अपनी नई पुस्तक' तुलसीदास का स्वप्न और लोक' पर जोशी ने कहा कि 'राम नाम सत्य है' तुलसीदास के पहले नहीं था, राम की सत्यता पर जो श्रद्धा हम रखते हैं वो तुलसीदास जी की वजह से ही है. दूसरे सत्र में लेखिका क्षमा कौल ने अपनी नई किताब 'मूर्ति भजन' के बारे में कहा कि उनका नया उपन्यास युद्ध जैसी स्थिति में जीवन की वास्तविक तबाही पर आधारित है, जिसे उन्हें दशकों पहले झेलना पड़ा था. उन्होंने कहा कि उस समय कश्मीर में लोगों को गाली देने के लिए 'हिंदू' एक अपमानजनक शब्द बन गया था.

अंशुल चतुर्वेदी के एक उपन्यास 'ए बर्ड फ्रॉम अफार' पर चर्चा के दौरान सुहेल सेठ, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, नीला माधब पांडा  जैसे हस्तियां मंच पर मौजूद थी. नीला माधब ने कहा कि 'ए बर्ड फ्रॉम अफार' अब तक की सबसे अविश्वसनीय काल्पनिक पुस्तक है जिसे मैंने पढ़ा है. अंशुल ने दर्शकों के लिए अपनी किताब के कुछ अंश पढ़े. उन्होंने चर्चा की कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु ने उनके जीवन को प्रभावित किया और लोगों को उनके बोस के जीवन-दर्शन और उनके द्वारा पोषित किए गए विश्वासों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. यह पुस्तक उनके जीवन के पहलुओं को उजागर करती है न कि मृत्यु को. अंशुल ने उल्लेख किया कि यह उपन्यास एक राजनीतिक किताब नहीं है. उन्होंने कहा, “मेरे पास एक विचार प्रक्रिया है और यह एक कहानी है.आखिरी सत्र की शुरुआत शाजिया इल्मी ने अपनी सुरुचिपूर्ण और उत्तम दर्जे की उर्दू शैली से की. इस सत्र में खालिद जावेद  द्वारा लिखित  'मौत की किताब' का  विमोचन हुआ. एक दिलचस्प चर्चा मेंअजहर इकबाल ने जावेद से पूछा कि क्या वह खुद को उर्दू कथा का बाहरी व्यक्ति मानते हैं, उन्होंने जवाब दिया कि मैं अपनी आत्मा की भाषा का पालन करता हूं और मूल अभिव्यक्ति में विश्वास करता हूं. उनके उपन्यास में नायक आत्महत्या करने की उम्मीद करता है और तैयारी करता है लेकिन खुद को नहीं मारता है. जावेद ने कहा, “आत्महत्या करने का विचार आत्महत्या से बेहतर है.”