नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित किताब फेस्टिवल के दूसरे दिन चार पुस्तकों का विमोचन हुआ. सभी सत्रों में शुरुआत और अभिनंदन अहसास वूमेन दिल्ली एनसीआर के सदस्यों ने किया. दूसरे दिन के पहले सत्र में सुदीप्ति की 'हिंदी की पहली आधुनिक कविता', दूसरे सत्र में वसीम नादर की 'रंगों की मनमानी', तीसरे सत्र में एजाज मकबूल की किताब 'लॉ ह्यूमर एंड ऊर्दू पोएट्री' और चौथे और आखिरी सत्र में प्रख्यात फोटोग्राफर रघु राय की पुस्तक 'सत्यजीत रे' पर चित्रित पुस्तक का विमोचन हुआ. इस तरह यह पूरा दिन फोटोग्राफी, भाषाओं के प्रति प्रेम, आधुनिक हिंदी और उर्दू कविता के नाम रहा. अहसास वूमेन के साथ यह रघु राय की यह पहली बातचीत थी और प्रभा खेतान फाउंडेशन का प्रकाशन होने के चलते यह और भी खास था.
वसीम नादर से अभिनंदन पांडे की बातचीत हुई. शाजिया इल्मी ने दोनों का अभिनंदन किया. वसीम ने उर्दू भाषा पर मजबूत अरबी प्रभाव के बारे में अपने विचार व्यक्त किए. तीसरे सत्र में एडवोकेट एजाज मकबूल ने कहा 'पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा लो आज हम भी साहिब-ए औलाद हो गए'. हसन जिया के साथ बातचीत में उन्होंने सबसे तनावपूर्ण क्षणों के दौरान हास्य के महत्त्व पर जोर दिया. रघु राय ने इना पुरी के साथ बातचीत में कहा कि हर व्यक्ति का रहस्य एक बार में ही सामने आता है जब आप मानसिक, शारीरिक रूप से खुद को उपलब्ध कराते हैं, आध्यात्मिक रूप से महसूस करने के लिए, समझने के लिए, व्यक्ति को समझने के लिए. यहीं पर उनकी पुस्तक अद्वितीय है. उन्होंने अपनी पुस्तक में सत्यजीत रे के आश्चर्यजनक दृश्यों और भावनाओं को दृश्य अनुभव में अनुवाद करने के अपने कौशल के बारे में भी बताया.