वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने स्नातकोत्तर स्तर पर 'हिंदू अध्ययन' का एक नया पाठ्यक्रम शुरू किया है. विश्वविद्यालय के उप सूचना व जनसंपर्क अधिकारी चंद्रशेखर ग्वारी के अनुसार, स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदू अध्ययन पाठ्यक्रम देश में किसी विश्वविद्यालय की तरफ से इस विषय पर चलाया जाने वाला पहला पाठ्यक्रम है. उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप तैयार किया गया एक विषय है. इस पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र की ओर से कला संकाय के तहत दर्शनशास्त्र और धर्म विभाग, संस्कृत विभाग और प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग के सहयोग से चलाया जाएगा. प्रोफेसर वीके शुक्ला के अनुसार यह पाठ्यक्रम दुनिया को हिंदू धर्म के कई अज्ञात पहलुओं से अवगत कराएगा और इसकी शिक्षाओं को अधिक लोगों तक ले जाने में मदद करेगा. पहले सत्र में एक विदेशी समेत कुल 45 छात्र शामिल हुए हैं. शुक्ला के अनुसार यह हमारे देश में हिंदू धर्म का पहला डिग्री कोर्स है. इससे पहले हिमाचल विश्वविद्यालय में एक डिप्लोमा कोर्स चल रहा था. हम अन्य संस्कृतियों, परंपराओं जैसे ईसाई धर्म, इस्लाम को विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ा रहे हैं जबकि हिंदू धर्म नहीं था. प्रोफेसर राकेश उपाध्याय ने कहा कि पाठ्यक्रम 'सनातन' जीवन मूल्यों के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण है. भारत अध्ययन केंद्र की ओर से चलाए जा रहे इस पाठ्यक्रम की कक्षाएं 19 जनवरी से शुरू हो चुकी हैं. शुरुआती तीन दिन पाठ्यक्रम के संबंध में जानकारी दी गई. इसके बाद साप्ताहिक कार्यक्रम चलेगा.
कोरोना महामारी को देखते हुए पाठ्यक्रम की शुरुआत वर्चुअल तरीके से भारत अध्ययन केंद्र की चेयर प्रोफेसर मालिनी अवस्थी, डॉ विजय शुक्ल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के प्रोफेसर विजय कुमार शुक्ल एवं शताब्दी पीठ के आचार्य प्रोफेसर कमलेश दत्त त्रिपाठी की उपस्थिति में किया गया है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ विजय शंकर शुक्ल ने कहा कि हिंदू अध्ययन पाठ्यक्रम का सूत्र 18वीं सदी के विद्वान पं. गंगानाथ झा से प्रारंभ होते हुए महामना मालवीय की संकल्पना में रूपांतरित होता है. लेकिन, किन्हीं कारणों से यह क्रम टूट गया था, जो आज इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूर्णता को प्राप्त हो रहा है. भारत अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर सदाशिव द्विवेदी के अनुसार दर्शनशास्त्र के अंतर्गत हिंदुत्व का लक्ष्य, आधार और रूपरेखा, संस्कृति विभाग के अंतर्गत पुरा-उपकरणों, स्थापत्य कला और उत्खनन से मिले सबूतों का विश्लेषण, संस्कृत विभाग के तरफ से आचार्य श्लोक, वेद, शास्त्र और प्राचीन साहित्य में छिपे ज्ञान को उजागर किया जाएगा. भारत अध्ययन केंद्र हिंदू जीवन शैली और आध्यात्मिक विज्ञान पर जोर देगा. वह बताएगा कि वैदिक काल में तत्व विज्ञान, प्राचीन युद्ध कला और कौशल, सैन्य विज्ञान एवं कला विज्ञान किस तरीके से उत्कृष्ट मात्रा में प्रचलित था, और इन तकनीकों का इस्तेमाल करके हम आज के समय में क्या नया अनुसंधान कर सकते हैं. इसके अलावा छात्रों को रामायण, महाभारत, ज्ञान मीमांसा, नाट्यकला, कालिदास, तुलसीदास, आर्य समाज, बौद्ध एवं जैन धर्म के साथ-साथ स्वामी विवेकानंद के बताए हुए ज्ञान से भी परिचित कराया जाएगा.