वाराणसीः काशी अपनी ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति के जश्न में पिछले तीन दिनों सराबोर रही. देव दीपावली के पावन अवसर का आगमन यहां तीन दिवसीय 'काशी उत्सव' रूप में हुआ. इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही की इसमें शब्द, कला, साहित्य, संस्कृति की महान विभूतियों गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर, संत रैदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद आदि को याद किया गया. प्रगतिशील भारत के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत सरकार की पहल 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश सरकार और वाराणसी प्रशासन के सहयोग से भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, की ओर से आयोजित कार्यक्रम की मेजबानी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने की. केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी, भारत सरकार में संस्कृति मंत्रालय के अपर सचिव रोहित कुमार सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया.
इस अवसर पर लेखी ने कहा कि काशी शहर में यह जो उत्सव मनाया जा रहा है, वह अविस्मरणीय है. काशी का जीवन लोक संगीत, वेद, विज्ञान और ज्ञान से परिपूर्ण है. इसका उद्देश्य लोगों को क्षेत्र की समृद्ध विरासत से अवगत कराना है. उन्होंने कहा, “यह उत्सव काशी की महान विभूतियों के सम्मान में है. काशी को इस उत्सव के लिए इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शानदार इतिहास तथा अद्भुत सुंदरता के कारण चुना गया है.” कवि कुमार विश्वास ने महोत्सव के पहले दिन 'मैं काशी हूं' पर प्रस्तुति दी, जबकि सांसद और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ने अंतिम दिन 'तुलसी की काशी' पर संगीतमय प्रस्तुति दी. उत्सव के दौरान कलापिनी कोमकली, भुवनेश कोमकली, भारती बंधु, मैथिली ठाकुर जैसे कलाकारों ने भक्ति संगीत प्रस्तुत किया. तीनों दिन पैनल चर्चा, प्रदर्शनी, फिल्म स्क्रीनिंग, संगीत, नाटक और नृत्य प्रदर्शन के माध्यम से काशी की इन महान हस्तियों को याद किया गया.