नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुस्तक, साहित्य और भारतीय संस्कृति से लगाव जगजाहिर है. यही वजह है कि उनके भाषणों में उसकी झलक अकसर दिखाई दे जाती है. इस बार तो मन की बात का अधिकाधिक हिस्सा किस्सा – कहानी को समर्पित रहा, जिसमें कहानी सुनाने की कला को पुरातन बताते हुए उन्होंने कहा कि कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता. जहां भी कोई आत्मा है वहां एक कहानी है, कहते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं. कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें. मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा. घुमंत ही मेरी जिंदगी थी. हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो, मैं, बच्चों से जरुर बात करता था और कभी-कभी बच्चों को कहता था, कि, चलो भई, मुझे, कोई कहानी सुनाओ, तो मैं हैरान था, बच्चे मुझे कहते थे, नहीं अंकल, कहानी नहीं, हम, चुटकुला सुनायेंगे, और मुझे भी, वो, यही कहते थे, कि, अंकल आप हमें चुटकुला सुनाओ यानी उनको कहानी से कोई परिचय ही नहीं था. ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “साथियो, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है. हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहां, हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहां, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके. हमारे यहां कथा की परंपरा रही है. ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है. इसमें 'कताकालक्षेवम्' भी शामिल रहा. हमारे यहां तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं. तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है. इसे 'विल्लू पाट्' कहा जाता है. इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है. भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा भी रही है. इन दिनों विज्ञान और विज्ञान कथाओं से जुड़ी कहानियां एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है. मैं देख रहा हूं कि कई लोग किस्सागोई की कला को आगे बढाने के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं.इसके बाद प्रधानमंत्री ने उन ढेर सारे लोगों की चर्चा की जो उच्च तकनीकी और प्रबंधन की शिक्षा हासिल कर कहानी सुनाने की विधा को प्रचलित करने में लगे हैं. प्रधानमंत्री ने अमर व्यास, वैशाली व्यवहारे देशपांडे, श्रीविद्या वीर राघवन, गीता रामानुजन, विक्रम श्रीधर आदि की चर्चा की और तेनाली राम की कहानी भी सुनी. उन्होंने आजादी आंदोलन की प्रेरक घटनाओं पर कहानी सुनाने की आग्रह किया 'ताकि कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने.'