हमने ये कैसा समाज रच डाला है….
आएंगे उजले दिन जरूर आएंगे…..
पटना, जन संस्कृति मंच की ओर से हिंदी के दिग्गज कवि वीरेन डंगवाल की 71वीं जयंती मनाई गई। स्थानीय छज्जूबाग़ में आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने वीरेन डंगवाल की कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का आरंभ वीरेन डंगवाल की दो मशहूर कविताओं – ‘हमारा समाज’ और ‘इतने भले नहीं बन जाना साथी, जितने होते हैं सर्कस के हाथी।'के ‘हिरावल’ के कलाकारों द्वारा गायन से हुआ। 
इस मौके पर रंगकर्मी सुमन कुमार, राजेश कमल, राजन, रेशमा, प्रीति प्रभा, प्रकाश, सत्यम, संतोष आर्या, अभिनव, शशांक मुकुट शेखर और संतोष झा  ने ‘फैजाबाद-अयोध्या’ ‘राम सिंह’, ‘आएंगे, उजले दिन ज़रूर आएंगे’, ‘15 अगस्त’, ‘मां की याद में’, ‘हम औरतें’, ‘तोप’, ‘पी टी उषा’, ‘समता के लिए’, ‘समोसे’, ‘कवि’ और ‘गलत हिज्जे’ शीर्षक कविताओं का पाठ किया। उनकी कविताओं का जो चुनाव था, वह उनकी लोकप्रियता की बानगी है। उनमें स्त्रियों के प्रति गहरी संवेदना है, समाज और मुल्क के साधारण से साधारण जन की इच्छाएं और सपने हैं, ‘समोसे’ और ‘तोप’ जैसी अनेक चीजों का दखल है। उनकी कविताएं ‘नगण्यता की विनम्र गर्वीली ताकत’ की कविताएं हैं। अंधेरे और संकटपूर्ण समय में भी उनकी कविताएं भविष्य के प्रति उम्मीद बंधाती हैं। वे युवा कवियों के भी प्रिय कवि रहे हैं। इस मौके पर युवा कवि अंचित और आदित्य ने भी वीरेन डंगवाल की पसंदीदा कविताओं का पाठ किया। 
"पी.टी उषा तुम खाती हो तो चपर चपर करता है/ कोई बात नहीं/ वे जो  संजहते हैं  बेआवाज जबड़े को सभ्यता, दुनिया के सबसे घाघ और खाऊ लीग हैं।"
कार्यक्रम में महिला आंदोलनो से जुड़ी कार्यकर्ताओं- विभा गुप्ता, साधना कृष्ण और मधु ने इस अवसर पर अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन जन संस्कृति मंच, पटना के संयोजक राजेश कमल ने किया।