पटना: वरिष्ठ कवि, पत्रकार, अनुवादक और फिल्म समीक्षक विष्णु खरे की स्मृति में प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, हिरावल, अभियान  सांस्कृतिक मंच, जनशब्द, दूसरा शनिवार और समन्वय की ओर से आई.एम. ए सभागार में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हुआ। श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत संस्कृतिकर्मी संतोष झा द्वारा विष्णु खरे की कविता लापताके पाठ से हुई। इस अवसर पर कवि अरुण कमल ने उनके साथ चालीस वर्ष के संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि विष्णु जी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था

वरिष्ठ कवि आलोकधन्वा ने  विष्णु खरे को वैज्ञानिक दृष्टि संपन्न कवि करार दिया। 

'कथांतर' के संपादक और आलोचक राणा प्रताप ने कहा कि " रघुवीर सहाय के बाद विष्णु खरे दूसरे बड़े कवि हैं जो यथार्थ के विडंबनापूर्ण प्रसंगों को अपनी कविताओं में दर्ज करते हैं। वे जनता की लड़ाई के सहभागी कवि हैं।

आलोचक और संस्कृतिकर्मी संतोष सहर ने विष्णु खरे को पाठकों की संवेदना और चेतना का विस्तार करने वाला अप्रतिम कवि बताते हुए कहा " विष्णु खरे में रुमानियत बहुत कम है। वे हमारे समाज के विद्रूप को सामने लाने वाले कवि हैं। कवि-कथाकार शिवदयाल ने कहा कि  " विष्णु खरे विश्व साहित्य को हिंदी पाठकों तक पहुंचाने वाले लेखक हैं। आलोचना उनका प्रधान गुण हैं। उनकी कविताएं भी इसका उदाहरण हैं। वे बहुआयामी रचनाकार हैं।

वरिष्ठ कवि श्रीराम तिवारी ने विष्णु खरे को अंतिम  जीनियस कवि कहा। संस्कृतिकर्मी सुधीर सुमन ने विष्णु खरे की एक कविता के हवाले से कहा कि वे " जनता के आक्रोश के संगठित होने की कामना करने वाले कवि हैं। सभा का संचालन सुशील ने किया। 

इस मौके पर वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज, जलेस के सत्येंद्र कुमार, अनिल विभाकर, सुनील सिंह, अनीश अंकुर, शशांक मुकुट शेखर, संतोष आर्या, कुमार परवेज, मृणाल, नवीन कुमार, अभ्युदय, रंजीव, गजेंद्र कांत शर्मा , अभिनव, सुमन कुमार, अरुण मिश्रा, संजीव झाप्रीति, समता राय, प्रकाश, कृष्ण समिद्ध आदि मौजूद थे।