भारत के दसवें प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था. कवि मन के अटल बिहारी वाजपेयी एक सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही सफल कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता थे. उन्होंने काफी समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया. अटल बिहारी वाजपेयी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले थे. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे. वह ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते. पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा. उनकी पहली कविता ताजमहल थी. 'हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय' भी उन्हीं की कविता थी, जिससे उनकी राष्ट्रवादी सोच का पता चलता है. गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था.
न मैं चुप हूं न गाता हूं
घिर रहे बादल
रूई से धुंधलके में
मील के पत्थर पड़े घायल
ठिठके पाँव
ओझल गाँव
जड़ता है न गतिमयता
मैं देख पाता हूं
न मैं चुप हूं न गाता हूं
चिनारों को झुलस डाला,
मगर हिमपात को देती
चुनौती एक दुर्ममाला,
विहँसे चीड़,
आँसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूँ।
न मैं चुप हूं न गाता हूं
आज उनके जन्मदिन पर जागरण हिंदी के पाठकों के लिए उनकी एक चर्चित कविताः
न मैं चुप हूं न गाता हूं
सवेरा है मगर पूरब दिशा में
घिर रहे बादल
रूई से धुंधलके में
मील के पत्थर पड़े घायल
ठिठके पाँव
ओझल गाँव
जड़ता है न गतिमयता
स्वयं को दूसरों की दृष्टि से
मैं देख पाता हूं
न मैं चुप हूं न गाता हूं
समय की सदर साँसों ने
चिनारों को झुलस डाला,
मगर हिमपात को देती
चुनौती एक दुर्ममाला,
बिखरे नीड़,
विहँसे चीड़,
आँसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूँ।
न मैं चुप हूं न गाता हूं