नई दिल्ली: विधि और काव्य, एक में तथ्य दूसरे में भाव, पर अगर दोनों एक जगह हों तो? देश की सबसे बड़ी अदालत सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं के बौद्धिक एवं सांस्कृतिक मंच 'कवितायन' तथा सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था 'उद्भव' ने राजधानी दिल्ली में संयुक्त रूप से एक आयोजन किया. 'कविता की एक शाम' नाम से आयोजित यह कार्यक्रम मंडी हाउस के त्रिवेणी सभागार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हिंदी हास्य कवि, पद्मश्री से सम्मानित और हाल ही में हिंदी अकादमी दिल्ली के उपाध्यक्ष बने सुरेंद्र शर्मा के अभिनंदन एवं कविता-पाठ हेतु समर्पित था. इस कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत के अध्यक्ष प्रो बल्देव भाई शर्मा, कवितायन के अध्यक्ष वी.शेखर व महासचिव चंद्र शेखर आश्री , लेखक एवं शिक्षाविद अशोक पांडेय व उद्भव के महासचिव विवेक गौतम सहित राजधानी के साहित्यजगत की तमाम हस्तियां उपस्थित थीं. इस अभिनन्दन समारोह एवं कविता-पाठ का शुभारंभ अधिवक्ता अभिज्ञ कुशवाहा द्वारा सरस्वती वंदना 'वीणा वादिनी वर दे' से हुआ.
काव्य संध्या में रवि कुमार शर्मा, अभिषेक अत्रेय, मोहम्मद मुजीब, आशीष कंधवे, जितेंद्र सिंह, निशा भार्गव, अनीस अहमद ख़ान, आर. एस. चीमा, दिलदार देहलवी, अफ़शां प्राचा, अश्विनी भारद्वाज, मोनिका कपूर, लक्ष्मी शंकर बाजपेई, शैलेंद्र शैल, ममता किरण, वीणा मित्तल, राम अवतार बैरवा, चंद्र शेखर आश्री, डॉ. विवेक गौतम, ओम प्रकाश कल्याणे, प्रेम बिहारी मिश्र और नंद कुमार झा आदि ने अपनी कविताएं सुना कर श्रोताओं को रोमांचित कर वाह-वाही लूटी. इस मौके पर सुरेंद्र शर्मा ने देश में राजनीति के गिरते स्तर पर श्रोताओं का ध्यान अपने अनोखे अंदाज़ में खींचा. उनकी कविता की पंक्ति थी, 'संकट पर कविता नहीं लिखी जा रही, कविताओं में संकट पैदा किया जा रहा है.' कुल मिलाकर यह आयोजन कविताओं के स्तर, शब्दों की गहराई व भाव तथा कविताओं के पाठ करने के निराले अंदाज के चलते श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने में सफल रहा. सभागार में तालियों की गूंज कविताओं के इस आयोजन की सफलता को बयां कर रही थी. 'कविता की एक शाम' आयोजन का सफल संचालन विवेक गौतम ने किया.