पटनाः पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का पढ़े से पंडित होय… प्रेम से जीवन को बांधने की ऐसी आभा कबीर दास से इतर कम दिखाई देती है, संभवतः इसी सोच से भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन काम कर रहे 'भारतीय प्राणि सर्वेक्षण' और 'थावे विद्यापीठ' ने मिल कर विश्व योग दिवस के अवसर पर 'कविता, कबीर और योग' विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया. यह आयोजन स्थानीय भारतीय प्राणि सर्वेक्षण सभागार में संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता विवेक कुमार गिरि ने की. समारोह में बतौर मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं थावे विद्यापीठ के कुलाधिपति डॉ कैलाशनारायण तिवारी, विशिष्ट अतिथि के रूप में बड़ी पटनदेवी के महंत विजयशंकर गिरि, बिहार के पूर्व गृहसचिव जियालाल आर्य, बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. अमरनाथ सिन्हा उपस्थित थे.
इस कार्यक्रम में लगभग सभी वक्ताओं ने योग को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताते हुए कविता के महत्व और कबीर की वाणी आदि पर अपने विचार रखे. बीज वक्ता के रूप में डा राधाकृष्ण सिंह, डॉ प्रवीर, डॉ विपुल आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण जेडएसआई के उपनिदेशक डॉ गोपाल शर्मा ने किया, जबकि पूरे आयोजन का संचालन विद्यापीठ के कुलसचिव डॉ पीएस दयाल यति ने किया. समारोह के दूसरे सत्र में विशिष्ट कवियों द्वारा काव्यपाठ किया गया. काव्य पाठ में हिस्सा लेने वालों में राज्य के नामीगिरामी कवि भी शामिल थे, जिनमें डॉ भावना शेखर, आराधना प्रसाद, धनश्याम, अरुण कुमार गौतम, पंकज प्रियम, आकांक्षा आदि प्रमुख थे. अंत में शिक्षाविद डॉ ध्रुव कुमार एवं विद्यापीठ के प्रतिकुलपति डॉ अरविंद आनन्द ने धन्यवाद ज्ञापन किया. समारोह में डा रीना सहाय, डॉ आनंदी कुमार, कुमार सुंदरम, मनीष भारती, रजनी प्रभा, पूनम कुमारी, कुमारी सितारा सहित शताधिक साहित्यप्रेमी मौजूद थे.