नई दिल्लीः राजधानी के कमला नेहरू कॉलेज में दिल्ली विश्वविद्यालय की 'सृजन' हिंदी रचनात्मक लेखन समिति की ओर से 'कथा कहानी' आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में आमंत्रित कथाकार थीं लखनऊ से आईं किरण सिंह और दिल्ली की कथाकार वंदना राग. किरण सिंह ने अपनी बहुचर्चित पुरस्कृत कहानी 'संझा' का पाठ किया, तो वंदना राग ने अपनी चर्चित कहानी 'कठकरेज' पढ़ी. दोनों ही कहानियां पाठन के लिहाज से लंबी हैं पर आंचलिक पृष्ठभूमि, सुगठित कथ्य, शिल्प और सुंदर पाठ की वजह से यह श्रोताओं को जोड़ने में सफल रहीं. इनके वाचन के बाद दोनों कहानियों पर विस्तार से चर्चा हुई. जिसमें विश्वनाथ त्रिपाठी, विनोद तिवारी, कथाकार संजीव, प्रेम तिवारी, विवेक मिश्र, सुभाष अखिल, और अंजू शर्मा सहित उपस्थित छात्राओं ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम का संचालन राकेश तिवारी ने किया.
दोनों ही कहानियां अपने कथ्य और शिल्प में जटिल पात्रों को लेकर चलती हैं और मानव व्यवहार के सूक्ष्म विश्लेषण के माध्यम से आगे बढ़ती हैं. 'संझा' में एक सच है जिसे पाठक पहले ही पृष्ठ से जानता है और उसके खुल जाने के डर में बराबर शरीक होता है. कहानी की मार्मिकता पाठक को छूती है. किरण सिंह के शानदार पाठ ने इसे बहुत रोचक बना दिया. इसी तरह 'कठकरेज' कहानी एक गांव की कहानी है, जहां एक भेद की तलाश एक अबोध बच्चे के माध्यम से दर्शायी गई है. यह कहानी बब्बा, ईया की रहस्यमयी कथा के साथ-साथ बाजारीकरण के ग्राम्य जीवन पर प्रभाव सहित कई अन्य तथ्यों को भी समेटते हुए चलती है, साथ ही उन सहज मानवीय प्रवृतियों को उघाड़ने में पूरी तरह सक्षम है, जो उनकी स्थानीयता अलग होने से खास प्रभावित नहीं होतीं. इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में हरियश राय, राकेश तिवारी, प्रेम तिवारी आदि की खासी भूमिका थी.