नई दिल्लीः आओ गीत गुनगुनाए समूह द्वारा ग़ज़लों की फुहार कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस डिजीटल कवि सम्मेलन की अध्यक्षता देश के जाने-माने ग़ज़लकार देवेन्द्र माँझी ने की. आजाद कानपुरी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे व बृजेन्द्र हर्ष के सान्निध्य में यह आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम के संचालक गजलकार संजय जैन थे, तो स्वागताध्यक्ष की भूमिका गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने निभाई. कवयित्री पूनम रज़ा की सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन शुरू हुआ. फिर कार्यक्रम के अध्यक्ष देवेन्द्र माँझी ने अपनी यह ग़ज़ल सुनाई-कल न तेरा है और न मेरा है, आखिरी इस गली का फेरा है, ढूंढता हूं  शजर शज़र तुझको, कौन सी शाख पर बसेरा है….
मुख्य अतिथि आजाद कानपुरी की ग़ज़ल की पंक्तियां थीं, ” झूठ ही सही तुझको मुझसे प्यार हो जाए, ज़िन्दगी का हर लम्हा ख़ुशगवार हो जाए…वरिष्ठ ग़ज़लकार बृजेन्द्र हर्ष के ग़ज़ल का शेर गौर करने लायक था, “हज़ार माल हो, क़ैफ़े हो कुछ नहीं होता, घरों से साथ निकलती है सबकी तन्हाई…अनुपिन्दर सिंह अनुप ने पढ़ा, “जब पराई पीर अपनी हो गई, फिर यहां यारों पराया कुछ नहीं…संचालनकर्ता संजय जैन ने अपना शेर पढ़ा, “किसी पत्थर की मूरत में धड़कता है यहां दिल भी, किसी का दिल हुआ यारों यहां पत्थर के जैसा…स्वागताध्यक्ष डॉ जयसिंह आर्य के ग़ज़ल की पंक्तियां थीं, “कब तक उलझेंगे हम दुनिया के झमेले में..चलो मिलकर करते हैं कुछ बात अकेले में…इनके अलावा ग़ज़लकार प्रदीप मायूस, रामश्याम हसीन, अमित अहद, हरेन्द्र यादव फकीर, सुदेश यादव दिव्य, निर्दोष प्रजापति की ग़ज़लें भी ख़ूब पसंद की गईं.