वाराणसी में 16-18 नवंबर के बीच महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल का तीसरा संस्करण आयोजित होने जा रहा है. इस फेस्टिवल में दर्शक संत कबीर की मार्मिक कविताओं और सादगी, पूर्ण भाव का जश्न संगीत, साहित्य और वार्ता की प्रस्तुतियों का आनंद ले सकेंगे. महिंद्रा ग्रुप और टीमवर्क आर्ट्स द्वारा आयोजित महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल गंगा के किनारे वाराणसी के प्राचीन घाटों पर संगीत प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव लेकर आएगा. सूरज की उगती किरणों के साथ गुलेरिया घाट पर और सायंकाल शिवाला घाट पर गायक दर्शकों को उल्लासित करेंगे. इन प्रस्तुतियों में बनारस घराना, सूफी संगीत, ग़जल, दादरा, ठुमरी और खयाल गायकी, पखावज और तबला इत्यादि के अग्रणी प्रतिनिधि सम्मलित होंगे.
'रोम रोम में कबीर' के एहसास को जगाने वाले इस फेस्टिवल के पिछले दो संस्करणों में कैलाश खेर, शुभा मुद्गल और कबीर जैसे प्रसिद्ध कलाकारों की मेजबानी करने के बाद, एम के एफ में इस साल कई प्रमुख कलाकार कबीर पर अपनी प्रस्तुति देंगे. सुबह हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका विद्या राव, बांसुरी वादक हरी प्रसाद पौडयाल, ठुमरी गायिका बरनाली चट्टोपाध्याय और उनके समवेत योगी और सितार वादक पंडित रबिन्द्र गोस्वामी, दोपहर के साहित्य सत्रों में लेखक और पौराणिक विशेषज्ञ देवदत्त पटनायक और प्रसिद्ध भक्ति विद्वान पुरुषोत्तम अग्रवाल कबीर पर अपने विचारों का वर्णन करेंगे और सायंकाल सूफी गॉस्पेल प्रोजेक्ट की प्रसिद्ध गायिका सोनम कालरा, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, शास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रबोर्ती, संगीतकार श्रुति विश्वनाथ, प्रसिद्ध सारंगी वादक और गायक लाखा खान और सूफी लोक गायक मूरालाला मारवाडा प्रस्तुति देंगे.
महिन्द्रा एंड महिन्द्रा लिमिटेड के उपाध्यक्ष एवं हेड-कल्चरल आउटरीच जय शाह का कहना है, "संत कबीर के विचार अनंत हैं और हमें ख़ुशी है कि हम कबीर को उनकी जन्मभूमि वाराणसी में ला रहे हैं. यह फेस्टिवल संगीत, कविता और चर्चाओं से गूंजायमान होगा, और पिछले संस्करणों की तरह वाराणसी के निवासियों और शहर के बाहर से आये प्रतिनिधियों के लिए यादगार अनुभव रहेगा."टीमवर्क आट्र्स के एम.डी संजय रॉय ने कहा, “महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल उन लेखकों और कलाकारों को एक साथ लेकर आ रहा है जिन्होंने संत कबीर के भाव को आत्मसात किया है. यह फेस्टिवल जश्न मनाता है कबीर का, जो ज्ञान और बुद्धिमता के साथ हर चुनौती पर विजय पाने में सक्षम थे और संगीत और साहित्य के माध्यम से समावेशी होने की क्षमता रखते थे." ( प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित)