लंदनः कथा यूके के बैनर तले एजवेयर लंदन में रचना पाठ, साहित्य और साहित्यिक स्थितियों पर एक गोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें मॉरीशस से लंदन पहुंचे रामदेव धुरंधर, पुणे के डॉ. दामोदर खड़से  सहित लंदन के कई महत्त्वपूर्ण साहित्यकारों ने भाग लिया. डॉ अरुण अजितसरिया एवं नंद अजितसरिया ने मेजबानी की और संचालन कथाकार तेजेंद्र शर्मा ने किया. इस चर्चा में विश्व सिनेमा की रोशनी में भारतीय फिल्मों पर भी बात हुई.  मॉरीशस के वरिष्ठ साहित्यकार रामदेव धुरंधर ने मॉरीशस में हिंदी की स्थिति पर चिंता जताई. पूछे जाने पर उनका कहना था कि पच्चीस और पैंतीस वर्ष की आयु के युवाओं में अब हिंदी भाषा प्रचलित नहीं है. विश्व हिंदी सम्मेलन को लेकर भी उनका अनुभव ख़ासा कड़वा था. उन्हें शिकायत थी कि आजतक विश्व हिंदी सम्मेलनों में पारित प्रस्तावों को कभी लागू नहीं किया गया. मॉरीशस में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में तो मॉरीशस के साहित्यकारों की ख़ासी उपेक्षा भी की गयी. डॉ. दामोदर खड़से ने भारत के कथा साहित्य की वर्तमान स्थिति के प्रति ख़ासी सकारात्मक टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि कई पीढ़ियों के कथाकार एक साथ इस समय सक्रिय रूप से रचनाकर्म में जुटे हैं. खड़से ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया. कार्यक्रम की शुरुआत में कथा यू.के. की संरक्षक काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी, डॉ. अरुणा अजितसरिया, इंदु बैरॉठ एवं शिखा वार्ष्णेय ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम में उषा राजे सक्सेना, दिव्या माथुर, मीरा कौशिक, के.बी.एल सक्सेना आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही.