नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने अपने प्रतिष्ठित कार्यक्रम कथासंधि में वरिष्ठ कथाकार प्रदीप पंत के कहानी-पाठ का आयोजन किया. इस दौरान प्रदीप पंत ने वे होंगे कामयाबशीर्षक से लिखी अपनी कहानी प्रस्तुत की. यह कहानीहंसपत्रिका में प्रकाशित हुई थी. इस कहानी में दो भिखारियों के माध्यम से देश में चल रहे आर्थिक उदारीकरण के प्रभावों पर व्यंग्यात्मक रूप से चर्चा की गई थी. कहानी-पाठ के बाद उपस्थित श्रोताओं, जिनमें कई लेखक भी शामिल थे, ने उनसे कुछ सवाल किए. कुछ ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को लेकर भी जिज्ञासा जाहिर की. राजकुमार गौतम ने उनके विविधतापूर्ण लेखन की चर्चा करते हुए उनसे अनुरोध किया कि वे दिल्ली के लेखकों के साथ बिताए अपने दिनों को संस्मरण के रूप में लिखें. ब्रजेंद्र त्रिपाठी ने उनकी कहानी में व्यंग्य की धार का उल्लेख करते हुए उसे वैश्विक संदर्भों में परिभाषित किया. इस अवसर पर प्रताप सिंह ने प्रदीप पंत की संपूर्ण रचना-यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी कहानी और उपन्यासों में व्यंग्य की उपस्थिति उन्हें और रोचक और पठनीय बनाती हैं.

इस कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के संपादक हिंदी अनुपम तिवारी ने किया. ज्ञात रहे कि प्रदीप पंत हिंदी के चर्चित कथाकार तथा व्यंग्यकार हैं. उनकी प्रमुख कृतियों में; कुत्ते की मौत, आम आदमी का शव, एक से दूसरी, राजपथ का मेनहोल तथा अन्य कहानियां नामक कहानी-संग्रह; मैं गुट-निरपेक्ष हूँ, प्राइवेट सेक्टर का व्यंग्यकार, सच के बहाने, मीडियाकार होने के मजे, आँगन में कागा बोला तथा अन्य व्यंग्य नामक व्यंग्य-संग्रह; स्त्री और समाज, प्रश्न और प्रसंग नाम से लेख और भेंटवार्ता; सफर-हमसफर, कुछ और सफर, लौटन से पहले, महादेश की दुनिया नामक यात्रा-संस्मरण आदि शामिल हैं. उनका व्यंग्य उपन्यास 'महामहिम' अत्यंत चर्चित रहा है, जिसका मराठी में अनुवाद हो चुका है और जिसका अनुवाद कुछ अन्य भारतीय भाषाओं में भी हो रहा है. पंत यशपाल जन्मशती वर्ष में हिंदी अकादमी, दिल्ली की पत्रिका इंद्रप्रस्थ भारती के वृहद् यशपाल विशेषांक का संपादन कर चुके हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, हिंदी अकादमी, दिल्ली तथा अनेक साहित्यिक संस्थाओं से साहित्य, भाषा तथा संस्कृति के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किया जा चुका है.