नई दिल्लीः साहित्य के क्षेत्र का प्रतिष्ठित श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान- 2021 वरिष्ठ कथाकार कथाकार शिवमूर्ति को देने की घोषणा हुई है. इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड की ओर से चित्रा मुद्गल की अध्यक्षता वाली चयन समिति में मधुसूदन आनंद, विष्णु नागर, जयप्रकाश कर्दम, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह और डॉ दिनेश कुमार शुक्ल ने शिवमूर्ति के नाम का चयन किया. इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने ट्वीट के जरिये शिवमूर्ति को बधाई दी. राजकमल प्रकाशन समूह ने भी शिवमूर्ति को इफको साहित्य सम्मान के लिए बधाई दी. शिवमूर्ति ने कसाईबाड़ा, अकालदण्ड, तिरिया चरित्तर जैसी कहानियों के माध्यम से महिलाओं, दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के संघर्षों को बड़े ही मार्मिक और सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है. उनकी रचनाओं में त्रिशूल, तर्पण, आखिरी छलांग और केसर कस्तूरी प्रमुख हैं. शिवमूर्ति की उनकी रचनाओं में सामंती व्यवस्था की विद्रुपता व कटु यथार्थ की प्रस्तुति रहती है. उन्होंने अपने कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन की विशेषताओं, विषमताओं और अंतर्विरोधों का यथार्थ चित्रण किया है.

शिवमूर्ति  का जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के एक अत्यंत पिछड़े गांव कुरंग में हुआ था. ‘कसाईबाड़ा’, ‘सिरी उपमा जोग’, ‘भरत नाट्यम्’, ‘तिरिया चरित्तर’ आदि उनकी प्रसिद्ध कहानियां हैं. उनका कहानी संग्रह ‘केशर कस्तूरी’ काफी चर्चित रहा है. ‘त्रिशूल’ और ‘तर्पण’ उनके चर्चित उपन्यास हैं.  उनकी कहानी ‘कसाईबाड़ा’ पर पांच हजार से ज्यादा मंचन हो चुके हैं और एक फीचर फिल्म भी बनी है. ‘तिरिया चरित्तर’ पर बासु चटर्जी ने फिल्म का निर्माण किया है. श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 शुरू किया गया यह सम्मान हर साल ऐसे हिंदी लेखक को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन के लोग होते हैं. सम्मान स्वरूप कथाकार को 11 लाख की धनराशि, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिह्न दिया जाता है. सम्मान समारोह हर वर्ष 31 जनवरी को होता है. पहले श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान से वरिष्ठ साहित्यकार विद्यासागर नौटियाल को सम्मानित किया गया था. इनके बाद 2012 में शेखर जोशी, 2013 में कथाकार संजीव, 2014 में मिथिलेश्वर, 2015 अष्टभुजा शुक्ल, 2016 में कमलाकांत त्रिपाठी, 2017 में रामदेव धुरंधर और 2018 में रामधारी सिंह दिवाकर को इस सम्मान से अलंकृत किया गया.