इंदौरः कथाकार बलराम मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के 'शताब्दी सम्मान' से नवाजे गए. हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के सभापति प्रोफेसर सूर्यप्रसाद दीक्षित की अध्यक्षता में संपन्न हुए समारोह में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कथाकार बलराम को मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति का 'शताब्दी सम्मान' प्रदान किया. इस अवसर पर एक लाख रुपए की निधि के साथ अभिनंदन पत्र में कहा गया कि दृष्टि संपन्न कथाकार-पत्रकार और चिंतक के रूप में बलराम की ख्याति देशव्यापी है. उत्तर प्रदेश के एक गांव से निकल कर उन्होंने साहित्य में जिन ऊंचाईयों को छुआ, वे स्पृहणीय हैं. कथा, कहानी, उपन्यास, समीक्षा और संस्मरण में इन्होंने अनेक कीर्तिमान कायम किये. 'विश्व लघुकथा कोश' तक का सफर इस विधा के उन्नयन में इनके गहरे लगाव का परिचायक है, तो कहानी संग्रह 'कलम हुए हाथ' के ग्यारह संस्करण कथा साहित्य में इनकी गहरी पैठ के प्रमाण. इनका पत्रकारीय अवदान दैनिक 'आज', 'सारिका', 'नवभारत टाइम्स', 'शब्दयोग' और 'लोकायत' के पन्नों में दर्ज है. पत्रकारिता और साहित्य के बीच इन्होंने समन्वयक की भूमिका निभाई और संपादन तथा समीक्षा के क्षेत्र में नए प्रतिमान रचे. इनके समक्ष सदैव रचना ही महत्वपूर्ण रही, रचनाकार नहीं. इनके सामाजिक और लेखकीय जीवन में कोई भेद नहीं.

याद रहे कि पत्रकार, कथाकार बलराम से पहले राष्ट्रीय स्तर का 'शताब्दी सम्मान' रमेशचंद्र शाह, प्रभाकर श्रोत्रिय, आनन्द प्रकाश दीक्षित, रामदरश मिश्र, विजयबहादुर सिंह और ज्ञान चतुर्वेदी को मिल चुका है. इस अवसर पर 50 हजार रुपए की निधि का दूसरा सम्मान वरिष्ठ कथाकार-उपन्यासकार कृष्णा अग्निहोत्री को दिया गया. यह सम्मान पिछले बरस डॉ शिवनारायण को मिला था. पहले दिन हुए समारोह में डॉ शिवनारायण की किताब 'कथा कहे बलराम' का विमोचन हिंदी भवन, भोपाल के अध्यक्ष कैलाशचंद्र पंत के साथ समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने किया. समारोह में हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी, डॉ सत्येंद्र शर्मा, संजय द्विवेदी, जवाहर चौधरी, सरोज कुमार, पद्मा सिंह, अरविंद ओझा आदि ने भी भाग लिया. समारोह का संचालन समिति के साहित्य मंत्री हरेराम वाजपेयी, संजय पटेल और 'वीणा' के संपादक राकेश शर्मा ने किया. याद रहे कि सम्मान समिति के संयोजक सूर्यकांत नागर के साथ गहन विचार विमर्श के बाद डॉ नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने इन सम्मानों के लिए बलराम और अग्निहोत्री का चयन किया था.