रायपुर: छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल की अगुआई में पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता साहित्य मंडल के अध्यक्ष आचार्य अमरनाथ त्यागी ने की. इस अवसर पर कवियों ने विविध रस की काव्य प्रस्तुति से श्रोताओं का दिल जीत लिया. कवि डॉ जेके डागर ने देश के वर्तमान राजनीतिक हालात पर अपनी कविता सुनाई, जिसकी पंक्तियां यों थींः
भारत मां का एक लाडला देश बचाने आया है,
पर देश लूटने वालों ने तो चक्रव्यूह सजाया है.

कवि शीलकांत पाठक ने आधुनिक भारत के अत्याधुनिक लोगों को अपनी रचना से यों आईना दिखायाः
ओ भटके हुए यात्री तुम्हें क्या राह बताऊं
यहां कई हिन्दुस्तान हैं भाई
हां यह छायादार रास्ता अशोक का है
यह वीरान रास्ता बुद्ध का है
यह जो आखिर में जला हुआ घर दिख रहा
यह अपना घर फूंक देने वाले कबीर और गांधी का है.
काव्य गोष्ठी में डॉ कमल वर्मा ने वृद्धाश्रम में मृत्यु की राह देखते माता-पिता की सोच को बड़े ही मार्मिक शब्दों में बयान कियाः
इस शर शैय्या पर लेटा हूं,
मैं भीष्म पितामह बन कर
ये सर है मेरे अपनों के,
ये सर है मेरे सपनों के,
केवल गैरों की मार नहीं,
अपनों का निशाना बन कर…

नर्मदा प्रसाद विश्वकर्मा ने महाभारत कालीन प्रसंग पर 'सुखदेव मुनि के आगमन पर सुंदरियां स्नान करती रहीं/ किंतु व्यास जी के आने पर वस्त्र पहन लिया…तो गोपाल सोलंकी ने प्रेम के समर्पण पर 'तेरा मेरा प्यार का अटूट अनुबंध है/ तेरे लिए ही मेरे गीत गजल छंद है…' सुनाया. गोष्ठी में डॉ अर्चना पाठक, एबी दुबे, शिवानी मैत्रा, तेजपाल सोनी, अनुराधा सोलंकी, मोहन श्रीवास्तव, अभिभूति वर्धन आदि ने भी अपनी रचना पढ़ीं.