बलियाः कोरोना के बावजूद आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की 114वीं जयंती उनके पैतृक गांव ओझवलिया में भी मनाई गई. आचार्य पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति के तत्वावधान में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई, जिसमें वक्ताओं ने इस कालजयी साहित्यकार के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला. ख्यातिलब्ध साहित्यकार डॉ जनार्दन राय ने कहा कि मां सरस्वती के वरदपुत्र व आचार्य की गरिमा से दीप्तमान पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी का व्यक्तित्व व उनकी सर्जनात्मक क्षमता किसी को भी चमत्कृत और अभिभूत करने के लिए पर्याप्त है. पाण्डित्य की प्रकाण्डता व उनका विपुल साहित्य हिन्दी-जगत को गौरवान्वित करता रहेगा. उनके व्यक्तित्व में ओझवलिया की माटी के साथ जनपद की टाटी, माटी व खांटी में भोजपुरिया ठसक व अट्ठाहास उनकी बलियाटिक होने की पहचान थी, जो आजीवन कायम रही. हिदी साहित्य के आकाश पर अपना परचम लहराने वाले बागी-बलिया के अद्वितीय लाल पंडित जी को कुशाग्र बुद्धि, उदार ह्रदय और विराट मानवीय चेतना जैसी अमूल्य निधियां वरासत में मिली थीं.
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने उनके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ शांति निकेतन के काम को याद किया. वक्ताओं का कहना था कि गुरुदेव रविन्द्रनाथ ठाकुर का अवदान द्विवेदी जी के जीवन की एक ऐसी पूंजी थी, जिसके द्वारा उनके आचार्यत्व का सृजन हुआ. पर यह भी सच हिअ कि द्विवेदी जी के सृजन के मूल में महर्षि भृगु का प्रसाद ही था, जिस पर हिन्दी जगत की रचनाधर्मिता का भव्य प्रासाद आज भी भारतीय साहित्य को गौरवान्वित करता है. आचार्य पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी जयंती समारोह के मुख्य अतिथि थे बैरिया तहसीलदार पं. शिवसागर दुबे. दुबे ने कहा कि पंडित जी एक निबंधकार, उपन्यासकार, साहित्येतिहासकार, समीक्षक एवं अन्य कई विधाओं के जानकार थे. मानें तो वे स्वयं में 'कुटज' 'कबीर' के पुनर्संस्करण थे. साहित्य को मनुष्य की दृष्टि से देखने के पक्षपाती आचार्य द्विवेदी का जन्मदिन हिन्दी जगत का आलोक पर्व है. विसंगतियों के बीच कोरोना से लड़ते हुए हम उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए भाव-भरी श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस मौके पर प्रख्यात साहित्यकार श्रीशचंद्र पाठक ने उनकी कृतियों को उल्लेख कर नमन किया. इस मौके पर सत्यनारायण गुप्ता, अक्षयवर मिश्रा, वृजकिशोर दुबे, सोनू दुबे, अवधेश गिरि, उमाशंकर पाण्डेय, दीना चौबे, वीरेंद्र दुबे आदि मौजूद थे. अध्यक्षता विनोद दुबे व संचालन समिति के सचिव सुशील कुमार द्विवेदी ने किया.