शिमला: हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार एस आर हरनोट के साहित्यकर्म पर पत्रिकाओं के विशेषांक का सिलसिला जारी है. अब सेतु पत्रिका ने डॉ देवेंद्र गुप्ता के संपादन में दो सौ पच्चास पृष्ठों का एक विशेषांक प्रकाशित किया है. सेतु का यह 22 वां अंक है. संपादक गुप्ता हिमाचल प्रदेश क्रिएटिव राइटर्स फोरम के अध्यक्ष हैं. सेतु के हरनोट विशेषांक का लोकार्पण हिमाचल अकादमी और ओकार्ड इंडिया के संयुक्त संयोजन में शिमला रोटरी क्लब सभागार में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य सिकंदर कुमार ने किया. इस अवसर पर प्रो मीनाक्षी एफ पॉल और हिमाचल अकादमी के सचिव डॉ कर्म सिंह भी विराजमान थे. अध्यक्षता प्रख्यात आलोचक डॉ हेमराज कौशिक ने की. स्वागत वक्तव्य में डॉ गुप्ता ने कहा कि यह विशेषांक हरनोट के रचनाकार और कृतित्व को समक्ष रखते हुए विवेचित और विश्लेषित किया गया है. हरनोट के लेखन की शुरुआत अस्सी के दशक में हुई थी और उनका पहला कहानी संग्रह वर्ष 1987 में आया. उसके बाद से उनके लेखन की निरंतरता आज तक बनी हुई है. उनके खाते में बीस के करीब पुस्तकें हैं और उनका नया उपन्यास जल्दी ही प्रकाशित हो रहा है. मुख्य अतिथि आचार्य सिकंदर कुमार ने इस विशेषांक के लिए बधाई देते हुए हरनोट के साहित्य योगदान और निरंतर लेखन की भूरी-भूरी प्रशंसा की.
मुख्य वक्ता के रूप में हिमाचल विश्वविद्यालय की डीन, लेखिका और अनुवादक प्रो मीनाक्षी एफ पॉल, डॉ सत्यनारायण स्नेही, डॉ प्रशांत रमन रवि ने हरनोट के साहित्य अवदान और सेतु पत्रिका के विशेषांक पर विस्तार से अपनी बात रखी. सभी का मानना था कि हिंदी कहानी और उपन्यास पर वर्तमान समय में चर्चा हरनोट के बिना अधूरी होगी. उनकी कहानियों के विषय अत्यंत गंभीर और दुर्लभ हैं और ये कहानियां स्थानीय होते हुए भी वैश्विक हो जाती हैं. हरनोट जीवन में, व्यवहार में जितने सच्चे हैं लेखन में उतने ही ईमानदार और निष्पक्ष भी. बहुत कम लेखक हैं जिनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं होता और हरनोट वैसे ही हैं. अन्य वक्ताओं में कविकुंभ की संपादक व गजलकार रंजीता सिंह फलक और शिक्षक लेखक जगदीश बाली ने भी संक्षिप्त रूप में अपनी बात रखी. एंकर तथा लोक कलाकार जगदीश गौतम ने हरनोट के ग्रामीण सरोकारों पर अपना वक्तव्य दिया. हरनोट पर पहली शोध छात्रा और वर्तमान में हिंदी की सहायक प्रोफेसर डॉ सुनीता धीमान और पीएचडी कर रही रीना कुमारी ने भी अपने अनुभव साझा किए. 86 वर्षीय शिक्षक जगत प्रसाद शास्त्री, डॉ कुमार कृषण, प्रियंका वैद्य ने भी अपनी बातें रखीं. सेतु के नौ खंडों में विभाजित इस विशेषांक में पांच चर्चित कहानियां फ्लाई किलर, आभी, जीनकाठी, बिल्लियां बतियाती हैं और बेजुबान दोस्त ली गईं हैं. इसके अतिरिक्त उन पर देश के कई बड़े आलोचकों  के पत्र पत्रिकाओं और आलोचना पुस्तकों में संग्रहित आलेख और टिप्पणियां, हिडिंब उपन्यास पर आलेख, हरनोट प्रियजनों की नजर में, पत्र और उनका संक्षिप्त परिचय शामिल है. इस अवसर पर डॉक्टर मधु शर्मा कात्यायनी, सीताराम शर्मा, गुल्पल वर्मा और दीप्ति सारस्वत के अलावा शिमला और आसपास के युवा और वरिष्ठ लेखक तथा विद्यार्थियों सहित हरनोट के गांव के लोग व परिजन उपस्थित रहे.