पठानकोट: पंजाबी लेखिका अमृता प्रीतम ने 'रीत' की जगह 'प्रीत' को अहमियत दी. अमृता का लेखन औरत की शक्ति का प्रतीक था. साहित्य कलश पब्लिकेशन इकाई की ओर से अमृता प्रीतम की जयंती पर एक शाम अमृता के नाम ऑनलाइन काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता प्रधान डॉक्टर मनु मेहरबान ने की. इस मौके पर जम्मू आर्ट एंड कल्चर एकेडमी के अतिरिक्त सचिव डॉ अरविदर अमन और संस्था के संस्थापक सागर सूद, जालंधर दूरदर्शन के प्रोड्यूसर आज्ञा पाल सिंह रंधावा, गवर्नमेंट कॉलेज जालंधर की पंजाबी विभागाध्यक्ष डॉ परमवीर कौर रंधावा, जेएमके इंटरनेशनल स्कूल पठानकोट से वान्या शर्मा, इंग्लैंड से साहित्यकार रशपाल कोर सिद्धू इत्यादि ने विशेष रूप से भाग लिया. डॉ मनु मेहरबान ने कहा कि अमृता प्रीतम प्रथम ऐसी भारतीय लेखिका है, जिन्हें पंजाबी और हिंदी दोनों भाषाओं में समान सम्मान मिला.
कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने युवा पीढ़ी में पंजाबी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया. जेएमके इंटरनेशनल स्कूल पठानकोट की प्रथम कक्षा की छात्रा वान्या ने अमृता प्रीतम की रचना में आखा वारिस शाह नू कि तो कबरा विचो बोल, ते आज किताबे इश्क दा कोई अगला वरका फोल जब प्रस्तुत की तो सभी ने तालियों के साथ उसका अभिनंदन किया. कोहिमा नागालैंड से आशीष कुमार ने अमृता प्रीतम की रचना सुनाया. इस अवसर पर राजनीति एक क्लासिक फिल्म है भी पेश किया गया. आर्ट एंड कल्चर अकेडमी के अतिरिक्त सचिव डॉ अरविदर अमन ने साहित्य कलश के इस प्रयास की सराहना की. जालंधर दूरदर्शन के प्रोड्यूसर आज्ञा पाल सिंह रंधावा ने कहा कि आज के इस परिवेश में युवा पीढ़ी को अपने महान साहित्यकारों से रूबरू करवाना सराहनीय कार्य है.