शिमलाः हिमाचल प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर ने किताबों को लेकर कुछ अद्भुत प्रयास किए हैं, जिनमें नगर निगम शिमला द्वारा निर्मित और कारागार एवं सुधार सेवाएं विभाग द्वारा संचालित 'बुक कैफ़े' शामिल है. गत दो सालों से शिमला के इस बहुचर्चित बुक कैफ़े के सफल व कुशल संचालन के बाद अब नगर निगम द्वारा प्रत्येक वार्ड में पार्षदों के साथ मिलकर जगह चिन्हित कर रहा है, जिसके तहत शिमला बुक कैफ़े के प्रारूप व स्वरूप को बरकरार रखते हुए बुक कैफ़े स्थापित किये जायेंगे. इससे पूर्व संजौली, टूटीकंडी और छोटा शिमला अपने पूर्व संचालित वाचनालयों को अतिशीघ्र बुक कैफ़े में बदल लिया जाएगा, जिसके लिए आयुक्त नगर निगम पंकज रॉय ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों और हिमालय मंच के लेखक सदस्यों के साथ तीनों जगहों का मुआयना किया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि शिमला बुक कैफ़े की तर्ज पर संचालित व विकसित करने हेतु पूर्ण प्राकलन व डिज़ाइन तैयार कर उचित कार्यवाही की जाए.
इस अवसर पर आयुक्त नगर निगम पंकज रॉय ने सभी वार्डो में पार्षदों के सुझाव व जगह चिन्हित कर बुक कैफ़े स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू करने के भी आदेश दिए. शिमला बुक कैफ़े की तरह इन सभी में पुस्तकें उपलब्ध होंगी और लेखकों को गोष्ठियां आदि करने की पूर्ण स्वतंत्रता भी रहेगी. लेखकों ने राज्य के वरिष्ठ साहित्यकार एस आर हरनोट की अगुआई में आयुक्त के समक्ष यह तथ्य रखे कि कारागार एवं सुधार सेवाएं विभाग के इनमेट्स और साहित्यिक गोष्ठियों की वजह से ही शिमला बुक कैफ़े देश व विदेश में चर्चित हुआ है, इसलिए इस बुक कैफ़े सहित अन्य कैफ़े भी जेल इनमेट्स द्वारा ही संचालित किए जाएं तो यह एक अतिरिक्त अट्रैक्शन रहेगा तथा निजीकरण से इसका मनमाना संचालन भी बचेगा, पर आयुक्त की टिप्पणी थी कि यह विकल्प बिल्कुल खुला है. हिमालय मंच के जो लेखक सदस्य शामिल रहे उनमें कुल राजीव पंत, डॉ विद्या निधि, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्यय, स्नेह नेगी, भारती कुठियाला, सीता राम शर्मा, डॉ मधु शर्मा शामिल थे.