नई दिल्लीः हिंदी की चर्चित कथाकार उषा प्रियंवदा का आज जन्मदिन है. उनका जन्म कानपुर में 24 दिसंबर 1930 को हुआ. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में पीएचडी की पर लिखा हिंदी में. तीन साल दिल्ली के लेडी श्रीराम कालेज और इलाहाबाद विश्वविद्यालय मे प्राध्यापन के बाद फुलब्राइट स्कालरशिप पर एक बार अमेरिका क्या गईं वहीं की होकर रह गईं, पर दिल से हिंदी गई नहीं. उन्होंने ब्लूमिंगटन में दो वर्ष पोस्ट डाक्टरल किया और विस्कांसिन यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई विभाग में पढ़ाने लगीं. वहीं से प्रोफेसर के पद से रिटायर हुई, पर इस दौरान हिंदी में इतना लिखा कि समकालीन हिंदी साहित्य के बड़े नामों में स्थापित हो गईं.
उषा प्रियंवदा ने कहानियां और उपन्यास लिखे. उनके कथा साहित्य में शहरी परिवारों की संवेदना, आधुनिक जीवन की उदासी, अकेलेपन, ऊब आदि का चित्रण है. उनकी चर्चित किताबों में उपन्यासः पचपन खंभे लाल दीवारें, रूकोगी नहीं राधिका, शेष यात्रा, अंतर-वंशी, भया कबीर उदास शामिल हैं तो कहानी संग्रहः मेरी प्रिय कहानियां, जिन्दग़ी और गुलाब के फूल, एक कोई दूसरा, सम्पूर्ण कहानियां भी खूब बिकीं.