देहरादूनः उत्तराखंड के गंगोलीहाट निवासी युवा लेखक उमेश पंत को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान दिए जाने की घोषणा पर उत्तराखंड के साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों ने खुशी जाहिर की है. इनका मानना है कि उमेश के लेखन ने देवभूमि को एक अलग पहचान दी है. उमेश को लोग बधाइयां दे रहे हैं. इस पुरस्कार के मिलने पर उमेश के पिता भगवान बल्लभ पंत और माता कमला पंत ने भी ख़ुशी ज़ाहिर की है. याद रहे कि उमेश को ढींगरा फ़ैमिली फाउंडेशन अमेरिका और शिवना प्रकाशन द्वारा हर वर्ष दिया जाने वाला यह सम्मान कथेतर विधा में पूर्वोत्तर पर आधारित उनके यात्रा वृत्तांत 'दूर, दुर्गम, दुरुस्त' के लिए दिए जाने की घोषणा हुई है. यह पुस्तक राजकमल प्रकाशन के सार्थक उपक्रम से 2020 में प्रकाशित हुई थी, जिसे पाठकों के साथ ही साहित्यिक हलकों में भी जल्दी पहचान मिल गई. इस सम्मान के तहत उमेश को इकतीस हज़ार रुपए की सम्मान राशि तथा सम्मान पत्र प्रदान किया जाएगा. ढींगरा फैमिली फाउंडेशन अमेरिका की सुधा ओम ढींगरा और शिवना प्रकाशन के पंकज सुबीर ने इन पुरस्कारों की घोषणा की.
उमेश की प्राथमिक शिक्षा गंगोलीहाट और पिथौरागढ़ से हुई. उन्होंने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर से उच्च शिक्षा प्राप्त की. उमेश पंत का एक और यात्रा वृत्तांत 'इनरलाइन पास' पहले ही प्रकाशित हो चुका है जो उत्तराखंड के आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा पर आधारित था. हिंदयुग्म से प्रकाशित इस यात्रा वृतांत को भी कई पत्र-पत्रिकाओं ने साल की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में शुमार किया था. अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान की घोषणा करते हुए पंकज सुबीर ने कहा 'दूर दुर्गम दुरुस्त' में जो गद्य उमेश ने रचा है, खासकर भारत के उस इलाके के बारे में जिसे हम अभी तक अपना इलाक़ा ही नहीं मानते और वहां हमारी आवाजाही भी कम होती है, वह अद्भुत है. इसे पढ़कर पूर्वोत्तर को नए सिरे से जानने का अवसर मिलता है और पूर्वोत्तर हमारे सामने खुलता है.