हिंदी की लोकप्रिय लेखिकाओं में शुमार मृदुला गर्ग का जन्म 25 अक्तूबर, 1938 को कोलकाता में हुआ था. अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन भी किया पर रचना कर्म उनके लिए प्रमुख रहा. उन्होंने उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह जैसी हर विधा में लिखा और खूब लोकप्रियता हासिल की. उनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली तथा इनमें से कई का जर्मन, चेक, जापानी, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी हुआ. लेखन के अलावा बतौर स्तंभकार उन्होंने पर्यावरण के प्रति हमेशा सजगता प्रकट की और लेख, निबंध लिखे तो महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा भी करती रहीं. उनका उपन्यास 'चितकोबरा' नारी-पुरुष के संबंधों में शरीर को मन के समांतर खड़ा करने और इस पर एक नारीवाद या पुरुष-प्रधानता विरोधी दृष्टिकोण रखने के लिए काफी चर्चित और विवादास्पद रहा. उन्होंने व्यंग्य भी जमकर लिखे. पर उनके उपन्यास बेहद चर्चित रहे. उपन्यास लेखन पर एक बार उन्होंने कहा था, 'दरअसल उपन्यास लिखना निजी ज़िंदगी को हलाक करके नई ज़िंदगी शुरू करने जैसा है. वह भी पुनर्जन्म जैसी नई ज़िंदगी नहीं, जो दुबारा मिलने पर हो पूरी तरह अपनी. यह नई ज़िंदगी औरों से उधार ली हुई होती है'.
उनकी चर्चित रचनाओं में उपन्यास- 'उसके हिस्से की धूप', 'वंशज', 'चित्तकोबरा', 'अनित्य', 'मैं और मैं', 'कठगुलाब', 'मिलजुल मन' और 'वसु का कुटुम'; कहानी संग्रह- 'कितनी कैदें', 'टुकड़ा टुकड़ा आदमी', 'डैफ़ोडिल जल रहे हैं', 'ग्लेशियर से', 'उर्फ सैम', 'शहर के नाम', 'चर्चित कहानियां', 'समागम', 'मेरे देश की मिट्टी अहा', 'संगति विसंगति', 'जूते का जोड़ गोभी का तोड़'; नाटक- 'एक और अजनबी', 'जादू का कालीन', 'तीन कैदें' और 'सामदाम दंड भेद'; निबंध संग्रह- 'रंग ढंग' ,'चुकते नहीं सवाल' तथा 'कृति और कृतिकार'; यात्रा संस्मरण- 'कुछ अटके कुछ भटके'; व्यंग्य संग्रह- 'कर लेंगे सब हज़म' तथा 'खेद नहीं है' खास हैं. लेखन के लिए उन्हें ढेरों प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल हो चुके हैं, जिनमें साहित्य अकादमी और व्यास सम्मान के अलावा हिंदी अकादमी दिल्ली का 'साहित्यकार सम्मान', उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ से 'साहित्य भूषण' सम्मान, ह्यूमन राइट वाच न्यूयॉर्क द्वारा साहसी लेखन के लिए 'हेलमैन-हैमेट ग्रान्ट', विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम में साहित्य में जीवनभर के योगदान के लिए 'लाइफटाइम कॉन्ट्रिब्यूशन', मध्यप्रदेश साहित्य परिषद से दो-दो पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का राम मनोहर लोहिया सम्मान और आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर  द्वारा 'ऑनोरिस कौसा' यानी डीलिट शामिल है.